रिटायर होने के बाद बोले जस्टिस कुरियन: 12 जनवरी की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर कोई पछतावा नहीं

Saturday, Dec 01, 2018 - 05:22 AM (IST)

नई दिल्लीः सेवानिवृत्ति के एक दिन बाद, उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश कुरियन जोसेफ ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें 12 जनवरी के विवादित संवाददाता सम्मेलन को लेकर कोई पछतावा नहीं है, जिसमें उन्होंने तथा तीन अन्य न्यायाधीशों ने शीर्ष अदालत के कामकाज को लेकर विभिन्न मुद्दे उठाए थे। पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि चीजें अब बदल रही हैं। जोसेफ ने कहा कि शीर्ष अदालत की व्यवस्थाओं और परंपराओं में बदलाव आने में समय लगेगा, क्योंकि वे लंबे वक्त से मौजूद हैं। 

जोसेफ ने अब प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एम बी लोकूर और पूर्व न्यायाधीश जे चेलामेश्वर के साथ मिलकर एक संवाददाता सम्मेलन किया था, जिसमें शीर्ष अदालत में मामलों के आवंटन सहित गंभीर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कि किसी न्यायाधीश द्वारा न्यायिक शक्तियों के इस्तेमाल पर कोई राजनीतिक दबाव नहीं होता। उन्होंने कहा कि जिस तरह से नियुक्तियों में 'चुनिंदा तरीके से देरी की जा रही है या इन्हें रोककर रखा जा रहा है' वह 'एक तरीके से' न्याय में 'हस्तक्षेप' है।

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें 12 जनवरी के संवाददाता सम्मेलन का हिस्सा होने का पछतावा है, उन्होंने जवाब दिया, "आप किस तरह का अजीब सवाल पूछ रहे हैं? मैंने जो कुछ किया, मुझे उसका कोई पछतावा नहीं है। मैंने बहुत सोच-समझकर एक उद्देश्य से ऐसा किया, ऐसा उद्देश्य जिसके लिए कोई और रास्ता नहीं बचा था। जब हमने ऐसा किया तब यही स्थिति थी।"  जोसेफ ने कहा कि जहां तक शीर्ष अदालत की बात है तो उच्चतर न्यायपालिका में नियुक्तियों और स्थानांतरण से जुड़े ‘मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर’ (एमओपी) अंतिम रूप में है और कॉलेजियम मसौदे के अनुसार काम कर रहा है।" उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय की जब सरकार का कहना है कि एमओपी पर काम चल रहा है और इसे शीर्ष अदालत की सलाह से तैयार किया जा रहा है।

जोसेफ ने कहा, "जहां तक उच्चतम न्यायालय की बात है तो यह (एमओपी) अंतिम रूप में है, जहां तक सरकार की बात है तो यह अंतिम रूप में नहीं है।" पूर्व न्यायाधीश ने कहा, "उच्चतम न्यायालय में कोई भ्रष्टाचार नहीं है। मैंने यह कभी नहीं किया। मैंने इसके बारे में कभी नहीं सुना।" यह पूछे जाने पर कि क्या न्यायपालिका में भ्रष्टाचार है, उन्होंने कहा, "मैं इस आम राय से सहमत नहीं हूं कि भ्रष्टाचार है, लेकिन मैं इस बात को मानता हूं कि लोगों में निचले स्तरों पर भ्रष्टाचार को लेकर कुछ नजरिया है।"

पूर्व न्यायाधीश जोसेफ ने कहा कि अगर पूर्व न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के बाद सरकार द्वारा कोई पद 'उपकार स्वरूप' (चैरिटी) दिया जाता है तो उन्हें इसे स्वीकार नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के बाद केवल उस स्थिति में पद संभालना चाहिए, जब सरकार द्वारा उनसे न्यायाधिकरण की जिम्मेदारी संभालने के लिए 'सम्मानपूर्वक आग्रह' किया जाए।     

Pardeep

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