Demonetisation 9 Years: 1000 का नोट भूली दुनिया, 2000 का दौर हुआ खत्म! देशवासियों को याद है वो रात! जानिए क्या मिला और क्या खोया
punjabkesari.in Saturday, Nov 08, 2025 - 06:34 PM (IST)
नेशनल डेस्क : 9 साल पहले की 8 नवंबर की वो शाम, जब भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने ऐलान नोटबंदी का ऐलान किया था। ये ऐतिहासिक दिन आज भी लोगों को याद है। पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में अचानक ₹500 और ₹1000 के नोटों को तत्काल प्रभाव से बंद (Demonetisation) करने का ऐलान किया था। आज इस बड़े आर्थिक फैसले को पूरे 9 साल हो चुके हैं।
बैंकों के बाहर लगी लाइनें-
नोटबंदी के ऐलान के बाद बैंकों के बाहर लोगों की लाइनें लगनी शुरु हो गई थीं। लोग अपने पुराने 500 और 1000 रुपए के नोट बदलवाने के लिए घंटों बैंकों के बाहर खड़े रहते थे। इसके अलावा पेट्रोल पंपों पर भी लोगों की लंबी लाइनें लगनी शुरु हो गई थींं।
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₹2000 का नोट भी हुआ 'आउट'
नोटबंदी के कुछ समय बाद 10 नवंबर 2016 को RBI ने ₹500 का नया नोट और साल 2017 में ₹200 का नया नोट जारी किया। लेकिन ₹2000 के नोट का सफर लंबा नहीं चला। मई 2023 में RBI ने इस सबसे बड़े नोट को चलन से वापस लेने की घोषणा कर दी। हालांकि इसे अभी भी वैध मुद्रा माना जाता है, लेकिन यह अब बैंकों से मिलना बंद हो चुका है।

क्या नोटबंदी ने अपने लक्ष्य पूरे किए?
सरकार ने दावा किया था कि नोटबंदी का मुख्य उद्देश्य काला धन, नकली करेंसी और आतंक फंडिंग पर रोक लगाना था।
- काला धन: आंकड़ों के अनुसार बंद किए गए लगभग ₹15.44 लाख करोड़ में से ₹15.31 लाख करोड़ (यानी 99% से अधिक पैसा) बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गया। आलोचकों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर पैसे की वापसी से यह साबित नहीं होता कि काला धन खत्म हुआ।
- नकली नोट: नकली नोटों की संख्या में जरूर कमी आई, लेकिन ये पूरी तरह से खत्म नहीं हुए हैं। आज भी देश के विभिन्न हिस्सों में नकली नोट पकड़े जाते हैं।

सबसे बड़ी उपलब्धि: डिजिटल क्रांति
अगर नोटबंदी की सबसे बड़ी और निर्विवाद उपलब्धि कुछ है, तो वह है डिजिटल पेमेंट की क्रांति। कैश की कमी ने लोगों को मजबूर किया कि वे UPI (जैसे PhonePe, Google Pay, Paytm) जैसे डिजिटल माध्यमों का उपयोग करें।
आज छोटे दुकानदारों से लेकर सब्जी बेचने वालों तक हर कोई QR कोड से भुगतान ले रहा है। UPI के ज़रिए रोज़ाना होने वाला लेन-देन 2016 की तुलना में हज़ार गुना से अधिक बढ़ चुका है। नोटबंदी ने देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था को जबरदस्त बूम दिया।
अर्थव्यवस्था पर असर
नोटबंदी की वजह से छोटे उद्योग, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और नकद पर निर्भर रहने वाले सेक्टरों को बड़ा झटका लगा था। कई जानकारों का मानना है कि इस फैसले के कारण देश की GDP ग्रोथ में भी कुछ समय के लिए गिरावट दर्ज की गई थी। काला धन खत्म हुआ या नहीं, इस पर राजनीतिक बहस आज भी जारी है।
