देश पर मंडराने लगा मंकीपॉक्‍स का खतरा, केंद्र ने एयरपोर्ट और बंदरगाहों को लेकर जारी किया अलर्ट

Saturday, May 21, 2022 - 06:56 AM (IST)

नई दिल्लीः कोविड से जूझ रही दुनिया में एक दुर्लभ संक्रमण के उभरने से वैज्ञानिक चिंतित हैं जिसका नाम मंकीपॉक्स है। हालांकि भारत में अभी तक इससे संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन ब्रिटेन, इटली, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन और अमेरिका में लोग इससे संक्रमित पाए गए हैं। कुल मिलाकर, मंकीपॉक्स के 100 से अधिक संदिग्ध और पुष्ट मामले सामने आए हैं।

वहीं  मंकीपॉक्स को लेकर भारत सरकार ने शुक्रवार को सभी अंतराष्ट्रीय एंट्री प्वाइंट जैसे एयरपोर्ट, बंदरगाहों पर निगरानी शुरू कर दी है। दक्षिण अफ्रीका की यात्रा कर भारत पहुंचने वाले यात्रियों की सैंपल को जांच के लिए पुणे में स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) भेजे जाएंगे। 

समाचार एजेंसी एएनआई ने एक अधिकारी के हवाले से लिखा, 'सैंपल (एनआईवी, पुणे को) केवल ऐसे मामलों में भेजें जहां लोगों में कुछ खास लक्षण दिखें। बीमार यात्रियों के नमूने नहीं भेजे जाएंगे।' इनपुट्स के अनुसार, केंद्र ने नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) को यूरोप और अन्य जगहों पर मिल रहे मंकीपॉक्स के मामलों पर कड़ी नजर रखने के लिए कहा है।

मंकीपॉक्स क्या है?
मंकीपॉक्स मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है। यह पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। मंकीपॉक्स से संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था। यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होता है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में पहुंच जाता है। हैदराबाद के यशोदा अस्पताल में संक्रामक रोगों पर सलाहकार डॉ. मोनालिसा साहू ने कहा, ''मंकीपॉक्स एक दुर्लभ जूनोटिक बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण के कारण होती है। मंकीपॉक्स वायरस पॉक्सविरिडे परिवार से संबंधित है, जिसमें चेचक और चेचक की बीमारी पैदा करने वाले वायरस भी शामिल हैं। ” 

साहू ने मीडिया से कहा, ''अफ्रीका के बाहर, अमेरिका, यूरोप, सिंगापुर, ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं और इन मामलों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा व बीमारी से ग्रस्त बंदरों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने से जोड़ा गया है।'' 

बीमारी के लक्षण
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, दाने और गांठ के जरिये उभरता है और इससे कई प्रकार की चिकित्सा जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। रोग के लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखते हैं, जो अपने आप दूर होते चले जाते हैं। मामले गंभीर भी हो सकते हैं। हाल के समय में, मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है, लेकिन यह 10 प्रतिशत तक हो सकता है। संक्रमण के वर्तमान प्रसार के दौरान मौत का कोई मामला सामने नहीं आया है। 

संक्रमण का प्रसार कैसे होता है?
मंकीपॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क के माध्यम से या वायरस से दूषित सामग्री के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है। ऐसा माना जाता है कि यह चूहों, चूहियों और गिलहरियों जैसे जानवरों से फैलता है। यह रोग घावों, शरीर के तरल पदार्थ, श्वसन बूंदों और दूषित सामग्री जैसे बिस्तर के माध्यम से फैलता है। यह वायरस चेचक की तुलना में कम संक्रामक है और कम गंभीर बीमारी का कारण बनता है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इनमें से कुछ संक्रमण यौन संपर्क के माध्यम से संचरित हो सकते हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह समलैंगिक या उभयलिंगी लोगों से संबंधित कई मामलों की भी जांच कर रहा है। 

Pardeep

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