भारत पर मंडरा रहा थर्ड स्टेज का खतरा, बेहद गंभीर हो सकते हैं हालात

Monday, Mar 30, 2020 - 10:03 AM (IST)

भारत में यदि कोरोना वायरस (Covid 19 Virus) का तीसरा चरण शुरू हो गया होता तो मरीजों की संख्या 10 गुना से अधिक हो सकती थी। यह दावा वायरस पर 3 दशकों से काम करने वाले डा. देबप्रसाद चट्टोपाध्याय ने किया है। भारत सरकार ने देश को लॉकडाऊन करने का कदम स्वास्थ्य मंत्रालय, इंडियन काऊंसिल ऑफ  मैडीकल रिसर्च (आई.सी.एम.आर.) और डब्ल्यू.एच.ओ. की सलाह पर उठाया है। देश को कोरोना वायरस के प्रकोप से बचाने का यही एकमात्र रास्ता था। 21 दिन समयावधि के पीछे भी वैज्ञानिक आधार है।

दरअसल ज्यादातर वायरस का जीवन चक्र होता है। फ्लू जब फैलता है तो उससे किसी की जान नहीं जाती। यदि दवा ली है तो 7 दिन में ठीक होगा और नहीं ली तो भी एक सप्ताह में ठीक हो जाएगा। यह इसलिए कि वायरस का जीवन चक्र खुद-ब-खुद एक सप्ताह में शरीर छोड़ देगा। मल्टीप्लीकेशन के लिए उसे बाहरी वातावरण में यदि उपयुक्त परिस्थितियां नहीं मिलीं तो वह खत्म हो जाएगा। डा. देबप्रसाद चट्टोपाध्याय ने कहा कि कोविड-19 नया वायरस है इसलिए अभी इसके बारे में पुख्ता रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता कि यह हमारी प्रतिरोधक क्षमता के अनुसार खुद में क्षमता विकसित कर लेगा लेकिन अब तक जो भी शोध प्रकाशित हुए हैं या मेरे बीते 3 दशकों के वायरस पर काम करते हुए जो अनुभव है उससे पता लगता है कि इसकी संभावना बहुत कम है। 

कोरोना वायरस संक्रमण रुकेगा फिजीकल डिस्टैंसिंग से


प्रश्न यह है कि लॉकडाऊन कोरोना वायरस से निपटने में कैसे मददगार होगा। दरअसल फिजीकल डिस्टैंसिंग संक्रमण को एक व्यक्ति से दूसरे में जाने से रोकने का काम करेगी। तीसरा चरण काफी खतरनाक हो सकता है। चीन, अमरीका और यूरोप के कई देश इसी चरण से जूझ रहे हैं। समय रहते सरकार ने सख्त कदम उठाकर देश को तीसरे चरण में जाने से बचा लिया है। यदि हम तीसरे चरण में (5वां सप्ताह) पहुंचे होते तो अब तक देशभर में कोरोना से त्राहिमाम मच जाता। उन्होंने कहा कि मुझे पक्का विश्वास है कि लॉकडाऊन के अंतिम समय तक तस्वीर काफी साफ  हो जाएगी। 

vasudha

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