लुटियंस दिल्ली वालों को कोरोना की दूसरी लहर ने स्वाद चखाया

Sunday, Apr 25, 2021 - 12:59 AM (IST)

यह पहली बार है जब लुटियंस दिल्ली से बड़े और शक्तिशाली लोगों ने आंधी की तरह आई कोरोना की दूसरी लहर का स्वाद चखा है और ये लोग यह नहीं समझ पा रहे कि वे जाएं तो कहां जाएं। बड़ी ही विनम्रता से उन्हें बता दिया गया है कि एम्स में कमरे उपलब्ध नहीं हैं। 300 कमरों वाले अति आधुनिक ट्रोमा सैंटर को 5 अप्रैल से फिर से कोरोना अस्पताल में बदल दिया गया है और वह ठसाठस भरा हुआ है। 

एक केंद्रीय राज्यमंत्री ने अपने रिश्तेदारों को दाखिल कराने के लिए संघर्ष किया परंतु उनकी किस्मत ने साथ नहीं दिया। राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा को बताया गया कि कोई वी.आई.पी. कमरा नहीं है। उन्हें दिल्ली-फरीदाबाद सीमा पर स्थित अपोलो अस्पताल जाना पड़ा। एम्स में कमरे नहीं मिलने पर भाजपा के एक सांसद तो इतने क्रुद्ध हो गए कि उन्होंने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख मारी, पर अफसोस वहां से भी कोई मदद नहीं मिल सकी। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सी.ई.ओ.), जो देश के शक्तिशाली नौकरशाह हैं, ने जब किसी को एम्स में भर्ती करवाना चाहा तो उन्हें बताया गया कि कमरा तो मिल जाएगा परंतु मिलेगा हरियाणा के झज्जर स्थित एम्स में। निजी अस्पतालों में भी भीड़ का हाल यही है। 

एक पूर्व गृह सचिव अपने दामाद के लिए एक नामी निजी अस्पताल के एमरजैंसी वार्ड में इस शर्त पर बिस्तर लेने में सफल हुए कि उसे एक अन्य मरीज के साथ कमरे में रहना होगा। पूर्व वित्तमंत्री स्वर्गीय अरुण जेतली की पत्नी ने एम्स के झंझट में पडऩे की बजाय सीधे गुडग़ांव के मेदांता में भर्ती होना बेहतर समझा। 

यहां तक कि उनकी बेटी और दामाद एकांतवास में स्वास्थ्य-लाभ कर रहे हैं। हालात कितने गंभीर हैं, यह अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव, जो देश के स्वास्थ्य प्रशासन को चलाते हैं, अपने परिवार के मित्र की मदद करने में नाकाम रहे। कहने का अर्थ यह कि किसी का कोई संपर्क-सूत्र काम नहीं आ रहा है। देश की राजधानी में इस समय स्वास्थ्य आपातकाल है जिसमें कोई भी फोन उठाने के लिए राजी नहीं है।

Shivam

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