चार्जशीट में खुलासा, सांप्रदायिक हिंसा के जरिए सरकार को उखाड़ फेंकना था दिल्ली के दंगाईयों का मकसद

Tuesday, Sep 22, 2020 - 08:03 PM (IST)

नई दिल्लीः फरवरी में हुए दिल्ली के दंगों को लेकर दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी है और चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने दंगाइयों के खतरनाक इरादों की पोल खोलकर रख दी है। चार्जशीट में कहा गया है कि दिल्ली में दंगों का षडयंत्र रचने वाले सभी षडयंत्रकारियों का मकसद सांप्रदायिक हिंसा का इस्तेमाल करके एक चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंकना था।

दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में कहा गया है दंगों के षडयंत्रकारियों का एकमात्र उद्देश्य सरकार को डराकर अपने नियंत्रण में करना था। चार्जशीट के मुताबिक षडयंत्रकारी सरकार को घुटनों पर लाकर नागरिकता कानून (CAA) को वापस लेने के लिए मजबूर करना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने ऐसा समय चुना था जिस समय अमेरिका के राष्ट्रपति भारत के दौरे पर थे ताकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की साख को बट्टा लगे।

चार्जशीट में कहा गया है कि अगर दंगाई अपने मकसद में कामयाब हो जाते तो इससे सरकार की नींव हिल जाती और सरकार के ऊपर जनता का भरोसा खत्म होता। चार्जशीट में कहा गया है कि दंगाइयों का आखिरी मकसद सांप्रदायिक दंगों के जरिए चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंकना था। चार्जशीट में कहा गया है कि इस षडयंत्र को एक चरणबद्ध तरीके से शुरू किया गया, पहले जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के मुस्लिम छात्रों का ग्रुप बना, फिर जामिया को-ऑर्डिनेशन कमेटी बनी और फिर दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप बना। चार्जशीट में कहा गया है कि ‘पिंजरा तोड़’ की महिलाओं ने दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप के तले ‘द वारियर्स’ करके नया नाम रखा।

सोशल मीडिया का किया गया उपयोग
पुलिस ने आरोप लगाया है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में फरवरी में बड़ी साजिश से संबंधित मामले में आरोपित उमर खालिद और शरजील इमाम ने ‘‘संशोधित नागरिकता विधेयक (सीएए) के खिलाफ चक्का जाम के लिए युवाओं को जुटाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने का फैसला किया था।'' दिल्ली पुलिस ने आरोप पत्र में आरोप लगाया कि सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य राज्य के खिलाफ बड़े पैमाने पर पूवनियोजित हिंसा थी। चार्जशीट में स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव के बारे में भी उल्लेख है जो सीएए के खिलाफ एक आंदोलन में दिसम्बर 2019 के दौरान जंतर मंतर पर खालिद और इमाम से मिले थे।

पुलिस ने चार्जशीट में आरोप लगाया है कि खालिद, यादव और इमाम ने ‘‘सीएए के खिलाफ चक्का जाम के लिए युवाओं को जुटाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने का फैसला किया था।'' पुलिस ने 16 सितम्बर को 17,000 पृष्ठ का आरोप पत्र दायर किया था। आरोप पत्र में कहा गया है जंतर मंतर पर जेएनयू के छात्र खालिद ने योगेंद्र यादव को इमाम से मिलवाया था। इसमें आरोप लगाया है कि इमाम शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन का षडयंत्रकर्ता था। गौरतलब है कि नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई हिंसा के बाद गत 24 फरवरी को उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक झड़प में 53 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 200 अन्य घायल हुए थे।

 

Yaspal

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