बजट में नहीं है देश की प्रगति की रूपरेखा : मोइली

Wednesday, Feb 07, 2018 - 06:11 PM (IST)

नेशनल डेस्क:  कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने अगले वित्त वर्ष के आम बजट को देश की आर्थिक स्थिति के प्रतिकूल करार देते हुए बुधवार को कहा कि इसमें युवकों, किसानों, कारोबारियों, शिक्षा, बैंकिंग क्षेत्र में सुधार तथा ढह चुकी अर्थव्यवस्था को संभालने के उपाय नहीं हैं।

मोइली ने लोकसभा में वर्ष 2018-19 के बजट पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली बहुत अध्ययनशील हैं लेकिन वह सही बजट पेश नहीं कर पाए हैं। यह बजट देश को सही दिशा में ले जाने वाला नहीं है। देश की अर्थव्यवस्था जिस स्थिति पर पहुंच चुकी है उसे देखते हुए नहीं लगता है कि दुनिया के किसी देश की अर्थव्यवस्था की हालत इतनी खराब है लेकिन सरकार इससे पूरी तरह आंख मूंद चुकी है।

उन्होंने कहा कि देश की बैंकिंग व्यवस्था पहले ही दीवालिया हो चुकी है और अब सरकार के कदम से पेट्रोलियम क्षेत्र भी दीवालिया होने की तरफ बढ रहे हैं जिसके इसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। तेलभंडार देशहित में जरूरी है और 2030 तक तेल क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने की बात है लेकिन मोदी सरकार सिर्फ कांग्रेस पर कटाक्ष कर रही है और तेल भंडार बढाने के लिए कोई काम नहीं कर रही है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार एअर इंडिया को बेचने की अर्थव्यवस्था पर काम कर रही है लेकिन सरकार यह नहीं समझ रही है कि उसके इस कदम का अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर होगा। कांग्रेस इसके परिणाम को जानती थी इसलिए उसने कभी एअर इंडिया को बेचने की योजना नहीं बनाई। मोदी सरकार एअर इंडिया जैसी सार्वजनिक विमानन सेवा कंपनी को भी निजी हाथों को सौंप रही है।

उन्होंने कहा कि बजट में निवेश बढाने खासकर निजी क्षेत्र का निवेश बढाने की कोई योजना नहीं है। निजी क्षेत्र में निवेश बढने का सीधा मतलब है रोजगार के अवसर पैदा करना लेकिन वर्तमान में निजी क्षेत्र का निवेश नकारात्मक है और इसमें सुधार के लिए बजट में कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। राजकोषीय घाटा और चालू घाटा लगातार बढ रहा है और इसमें कोई प्रगति नहीं हो रही है। विनिर्माण क्षेत्र में भी सुधार नहीं हो रहा है।

मोइली ने कहा कि मौद्रिक घाटा भी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना में बढा है और अब भी लगातार इसमें बढोतरी दर्ज की जा रही है तो इस स्थिति में विकास कैसे होगा। इसे रोकने के कभी उपाय नहीं किए गए और बजट में भी इस स्थिति में सुधार लाने के कदम नहीं उठाए गए हैं। सरकार की सारी परियोजनाएं अटक गयीं हैं और उन्हें निकालने के प्रयास नहीं हो रहे हैं। 

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