किसानों की कर्जमाफी संबंधी घोषणा को लेकर लग सकती है पार्टियों पर रोक, SC में याचिका दायर

Wednesday, Apr 17, 2019 - 09:21 PM (IST)

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर राजनीतिक दलों को उनके चुनाव घोषणापत्रों में कर्ज माफी और अन्य मौद्रिक योजनाओं की पेशकश करने से रोकने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि इन योजनाओं में सरकारी कोष का इस्तेमाल होता है और इसका अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ता है।

22 अप्रैल को होगी सुनवाई
याचिका में कहा गया है कि केंद्र और राज्यों को भी कर्ज माफी करने की इजाजत नहीं देनी चाहिए। साथ ही, बैंकों को गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) को बट्टे खाते में डालने से रोके जाने की जरूरत है। यह याचिका अधिवक्ता रीना एन सिंह ने दायर की है। यह न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा 22 अप्रैल को सुनवाई किए जाने के लिए सूचीबद्ध है। सिंह ने कहा कि केंद्र अैर राज्यों को एक कृषि नीति बनानी चाहिए जो इस क्षेत्र को लाभप्रद बनाए और किसानों को समृद्ध बनाने में मदद करे तथा कृषि में उनकी रूचि बढ़ाए।

वोटरों को लुभाने से रोका जाए
याचिका में कहा गया है, ‘‘राजनीतिक दलों को अपने चुनाव घोषणापत्रों में कर्ज माफी योजनाएं या अन्य मौद्रिक योजनाओं की पेशकश करने की इजाजत नहीं देनी चाहिए।'' इसमें कहा गया है कि राजनीतिक दलों को, चाहे वे सत्ता में हों या विपक्ष में, वोटरों के एक बड़े तबके या वोटबैंक को लुभाने के लिए अपने राजनीतिक मकसद की खातिर सरकारी कोष का दुरूपयोग करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।

याचिका में केंद्र, राज्यों, केंद्र शासित क्षेत्रों के अलावा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), चुनाव आयोग, कृषि मंत्रालय और वित्त मंत्रालय को भी पक्ष बनाया गया है। याचिका में कहा गया है कि सरकारी कोष की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए बैंक रिण की माफी की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। इसमें कहा गया है कि राजनीतिक दल कर्ज माफी योजनाओं की भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को नजरअंदाज कर अपने चुनाव घोषणापत्रों में इसकी पेशकश कर रहे हैं।

 

Yaspal

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