आंदोलन कर रहे किसानों की लगातार घट रही संख्या, लेकिन क्या ये एक सोची समझी रणनीति?

Tuesday, Feb 16, 2021 - 06:28 PM (IST)

नेशनल डेस्कः नए कृषि कानूनों के विरोध में करीब 83 दिनों से किसानों का आंदोलन चल रहा है। लेकिन दिल्ली बॉर्डर पर तस्वीर बदलने लगी है। किसान गावं की ओर लौटने लगे हैं। वो चाहे सिंघु बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर। दोनों बॉर्डरों पर किसान नेता मंच पर बैठे लेकिन उनको नेता बनाने वाली जनता घर की ओर वापस लौट रही है। टूलकिट का मामला सामने आने के बाद किसानों की आंखें खुलने लगी हैं। इस बीच एक वीडियो वायरल हो रहा है जो 14 तारीख की शाम का सिंघु बॉर्डर का बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि जब खबरें आने लगी कि किसान आंदोलन से भीड़ कम हो रह है तो इसे रोकने के लिए डांस का कार्यक्रम करवाया गया ताकि ऐसा न लगे की आंदोलन में लोग नहीं हैं, भीड़ बरकरार है और सब अच्छे से चल रहा है।

बता दें कि सिंघु बॉर्डर  पर पहले जैसी भीड़ नहीं है। टेंट तो लगे हैं लेकिन उतने लोग नहीं हैं। मंच पर भाषण भी चल रहा है लेकिन सुनने वालों के नंबर कम हो गए हैं। क्या यही आंदोलन के ऑर्गेनाइजर्स की चिंता का विषय है? सिर्फ डांस ही नहीं। करतब दिखाने वाले भी मिले जिसे आंदोलन कर रहे किसान देख रहे थे।

गाजीपुर बॉर्डर का भी हाल कुछ ऐसा ही है। दिल्ली के बॉर्डर पर भीड़ कम होने की चिंता किसान नेताओं को भी है। गांव गांव महापंचायत कर रहे हैं, समर्थन जुटा रहे हैं। मकसद सिर्फ यही है कि बिल वापसी तक आंदोलन की आग जलती रहे।

गाजीपुर बार्डर पर बढ़ती गर्मी से निपटने के लिए किसान अब बड़े जनरेटर लगा रहे हैं और आंदोलन कर रहे किसानों को गर्मी से बचाने के लिए 120 फीट लंबा पक्का टेंट भी लगाया जा रही है। लेकिन किसानों की घट रहा तादात भी एक किसान नेताओं की एक रणनीति का हिस्सा हैं।

गाजीपुर बार्डर किसान संघर्ष समिति के प्रवक्ता जगतार बाजवा ने कहा, ''किसानों की संख्या घट नहीं रही है बल्कि एक स्ट्रैटेजी के तहत हम किसानों को भेज रहे हैं आलू की फसल तैयार है। अब हम खेत खलिहान तक लेकर जाएंगे. इसकी वजह से हम भेज भी रहे हैं।

गाजीपुर बार्डर पर किसान अपने तंबू उखाड़ रहे हैं, लेकिन किसान नेताओं का तर्क है कि ये कभी भी बुलावे पर आ सकते हैं। बदलती रणनीति एक हिस्सा ये भी है कि अब किसानों की संख्या सोशल मीडिया पर बढ़ाई जाएगी। बुधवार से एक काउंटर खोल कर किसानों को ट्विटर और फेसबुक पर अकाउंट भी खोला जाएगा और ट्रेनिंग भी दी जाएगी। ताकि किसान आंदोलन के खिलाफ प्रोपोगंडा करने वालों को सोशल मीडिया पर जवाब दिया जा सके। जगतार बाजवा ने कहा, ''हम देख रहे हैं कि कुछ मीडिया और सोशल मीडिया पर किसानों के बारे में झूठी खबरें दी जा रही है। हम लोग किसानों के ट्विटर और फेसबुक के अकाउंट खोलेंगे।

 

Yaspal

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