सुरक्षा से पर्सनलाइजेशन तक: डिजिटल इंडिया में टू-व्हीलर इंश्योरेंस का सफर

punjabkesari.in Friday, Sep 19, 2025 - 03:05 PM (IST)

ऑटो डेस्क: कई दशकों तक भारत में टू-व्हीलर इंश्योरेंस को लोग सिर्फ एक औपचारिकता मानते थे ताकि ट्रैफिक पुलिस चेकिंग के दौरान चालान से बच सकें। उस समय इसका मकसद मुख्य रूप से थर्ड- पार्टी दायित्वों और कभी-कभी ओन-डैमेज कवर तक सीमित था। लेकिन अब पूरा इकोसिस्टम बदल चुका है। आज इंश्योरेंस केवल रेग्युलेटरी ज़रूरत नहीं रहा, बल्कि ऐसा प्रोडक्ट बन चुका है जिसे राइडर्स अपनी ज़रूरतों के हिसाब से कस्टमाइज कर रहे हैं। यह बदलाव भारत के इंश्योरेंस सेक्टर की बड़ी ट्रांसफॉर्मेशन को दर्शाता है, जहां डिजिटल प्लेटफॉर्म, फाइनेंशियल अवेयरनेस और
नए कंज्यूमर एक्सपेक्टेशन प्रोडक्ट के डिजाइन और डिलीवरी को नया आकार दे रहे हैं।

टू-व्हीलर का बढ़ता इस्तेमाल और इंश्योरेंस की पहुँच

भारत दुनिया की सबसे बड़ी टू-व्हीलर आबादी का घर है, जो कुल रजिस्टर्ड वाहनों का करीब 75% हिस्सा है। मोटरसाइकिल और स्कूटर सिर्फ सुविधा का साधन नहीं बल्कि करोड़ों परिवारों के लिए मोबिलिटी की रीढ़ हैं। कई घरों में पहली गाड़ी के रूप में बाइक खरीदी जाती है और इसी के साथ उनकी पहली इंश्योरेंस पॉलिसी भी ली जाती है। यही कारण है कि टू-व्हीलर इंश्योरेंस को मास इंश्योरेंस पेनिट्रेशन का गेटवे प्रोडक्ट माना जाता है।

https://www.policybazaar.com/motor-insurance/third-party-two-wheeler-insurance/

IRDAI (Insurance Regulatory and Development Authority of India) लंबे समय से इंश्योरेंस की पहुंच बढ़ाने पर ज़ोर देता रहा है और Bike Insurance इसमें अहम भूमिका निभाता है। थर्ड-पार्टी Bike Insurance को अनिवार्य बनाने से बेसिक कवरेज तो हर किसी तक पहुँचा है, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती रिन्यूअल में है। कई लोग पहली बार पॉलिसी लेने के बाद उसका नवीनीकरण करना भूल जाते हैं, जिससे कवरेज में गैप आ जाता है। लॉन्ग-टर्म सेविंग और No Claim Bonus (NCB) जैसे बेनिफिट्स के बारे में जागरूकता बढ़ने से रिटेंशन बेहतर हो रहा है। लगातार कवरेज बनाए रखना कंप्लायंस, फाइनेंशियल प्रोटेक्शन और लॉन्ग-टर्म प्रीमियम सेविंग के लिए ज़रूरी है।

डिजिटल शिफ्ट: एजेंट से लेकर इंश्योरेंस ऐप तक

Bike Insurance का डिस्ट्रीब्यूशन मॉडल पूरी तरह बदल चुका है। एक दशक पहले ज़्यादातर पॉलिसी गाड़ी खरीदते समय ही डीलर के जरिए ली जाती थी। रिन्यूअल एक थकाऊ प्रक्रिया थी, जिसमें कागज़ी दस्तावेज़ और एजेंट से बार-बार फॉलो-अप करना पड़ता था। आज राइडर्स मिनटों में डिजिटल प्लेटफॉर्म के ज़रिए पॉलिसी खरीद, रिन्यू या स्विच कर सकते हैं। पेपरलेस बाइंग से लेकर ऑनलाइन Claim सेटलमेंट तक कई मुश्किलें अब आसान हो चुकी हैं।

यह बदलाव ठीक उसी तरह है जैसे UPI ने पेमेंट सेक्टर को बदल दिया। जिस तरह देश ने कैश-हैवी ट्रांजैक्शन से मोबाइल पेमेंट की ओर शिफ्ट किया,वैसे ही Bike Insurance भी अपना UPI मोमेंट जी रहा है। अब मेट्रो ही नहीं बल्कि छोटे शहरों और गांवों में भी लोग प्रीमियम कंपेयर कर सकते हैं, ऐड-ऑन चुन सकते हैं और मोबाइल से ही ट्रांजैक्शन पूरा कर सकते हैं। डिजिटल ब्रोकर्स और इंटरमीडियरीज़ ने पारदर्शिता और विकल्प बढ़ाए हैं, जिससे ग्राहकों को सिर्फ स्टैंडर्ड पैकेज तक सीमित नहीं रहना पड़ता।

पर्सनलाइजेशन: Bike Insurance का नया चेहरा

Bike Insurance में सबसे बड़ा ट्रेंड पर्सनलाइजेशन है। अब इंश्योरर्स एक जैसे प्रोडक्ट की बजाय फ्लेक्सिबल प्लान ऑफर कर रहे हैं जो राइडर के प्रोफाइल के अनुसार ढलते हैं। Zero Depreciation Cover, Roadside Assistance, Pillion Rider Accident Cover और Engine Protection जैसे ऐड-ऑन पॉलिसी को आपकी राइडिंग हैबिट्स के हिसाब से बनाने का मौका देते हैं। उदाहरण के लिए, रोज़ाना ट्रैफिक में सफर करने वाला राइडर एक्सीडेंट और रोडसाइड असिस्टेंस को प्राथमिकता देगा, जबकि वीकेंड राइडर एक्सेसरीज़ कवर और पर्सनल एक्सीडेंट प्रोटेक्शन चुन सकता है।

टेक्नोलॉजी इस पर्सनलाइजेशन को और मज़बूत कर रही है। अब इंश्योरर्स टेलीमैटिक्स-आधारित प्रीमियम पर काम कर रहे हैं, जहां राइडिंग पैटर्न, स्पीड और डिस्टेंस प्राइसिंग को प्रभावित करेंगे। AI-ड्रिवन अंडरराइटिंग रिस्क असेसमेंट को और सटीक बना रहा है। यह बदलाव Riders को सिर्फ कंप्लायंस तक सीमित नहीं रखते, बल्कि उन्हें अपनी लाइफस्टाइल और फाइनेंशियल नीड़्स के हिसाब से पॉलिसी चुनने का विकल्प देते हैं।

टियर-2 और टियर-3 शहरों से नई ग्रोथ

टू-व्हीलर इंश्योरेंस की अगली लहर अब मेट्रो नहीं बल्कि टियर-2 और टियर-3 शहरों से आ रही है। सस्ते स्मार्टफोन, बेहतर इंटरनेट और आसान e-KYC छोटे शहरों में अपनाने को बढ़ावा दे रहे हैं। जहां पहले एजेंट या डीलर तक पहुंच आसान नहीं थी, अब डिजिटल-फर्स्ट सॉल्यूशंस यह गैप भर रहे हैं।

यह ट्रेंड हेल्थ इंश्योरेंस जैसा है, जहां मिडल-क्लास फैमिलीज़ को टैक्स बेनिफिट्स के जरिए अफोर्डेबल कवरेज मिल रहा है। Bike Insurance में अफोर्डेबिलिटी और जागरूकता कैंपेन बड़े गेम चेंजर साबित हो रहे हैं। अब पॉलिसी सस्ती दरों और रीजनल लैंग्वेज में उपलब्ध हैं, जिससे बड़े शहरों से बाहर भी पेनिट्रेशन तेजी से बढ़ेगा।

इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर और नए रिस्क

भारत का मोबिलिटी फ्यूचर इलेक्ट्रिक है, और EV टू-व्हीलर तेज़ी से मार्केट शेयर ले रहे हैं। यह कदम सस्टेनेबिलिटी के लिए अच्छा है, लेकिन इसके साथ नए रिस्क भी आते हैं। बैटरी डिग्रेडेशन, चार्जिंग स्टेशन हादसे, फायर रिस्क और महंगे स्पेयर पार्ट्स की वजह से इंश्योरर्स को पारंपरिक कवरेज मॉडल फिर से सोचने पड़ रहे हैं। स्टैंडर्ड पॉलिसी इन रिस्क को पूरी तरह कवर नहीं करती, इसलिए EV-विशेष ऐड-ऑन डिज़ाइन किए जा रहे हैं।

जैसे हेल्थ इंश्योरेंस ने सीनियर सिटीज़न्स के लिए अलग पॉलिसी बनाई जो उनकी उम्र और मेडिकल रिस्क को ध्यान में रखे, वैसे ही EV Riders भी एक नए सेगमेंट के रूप में सामने आए हैं। इलेक्ट्रिक इकोसिस्टम के बढ़ने के साथ इंश्योरर्स को ऐसे फ्लेक्सिबल प्रोडक्ट लाने होंगे जो बायर्स को भरोसा दें और एडॉप्शन को सपोर्ट करें।

चुनौतियाँ: जागरूकता और फ्रॉड रोकथाम

तरक्की के बावजूद चुनौतियाँ बनी हुई हैं। कई Bike Owners पहली पॉलिसी के बाद रिन्यू नहीं करते, जिससे वे बिना कवरेज के रह जाते हैं। अवेयरनेस कैंपेन में सिर्फ कंप्लायंस नहीं बल्कि फाइनेंशियल प्रोटेक्शन पर ज़ोर देना होगा।

फ्रॉड भी बड़ी समस्या है—फर्ज़ी एक्सीडेंट और झूठे Claims प्राइसिंग मॉडल को प्रभावित करते हैं। इंश्योरर्स AI-आधारित फ्रॉड डिटेक्शन, क्लेम वेरिफिकेशन टूल और कड़े रेग्युलेशन से इसे काबू करने की कोशिश कर रहे हैं। राइडर्स को पॉलिसी टर्म्स, एक्सक्लूज़न और डॉक्युमेंटेशन के बारे में शिक्षित करना भी ज़रूरी है।

निष्कर्ष: इनक्लूसिव और पर्सनलाइज्ड कवरेज की ओर

भारत में टू-व्हीलर इंश्योरेंस एक लंबा सफर तय कर चुका है। यह अब सिर्फ लीगल कंप्लायंस नहीं, बल्कि एक इनोवेटिव फाइनेंशियल टूल बन चुका है। आज यह पर्सनलाइजेशन, एक्सेसिबिलिटी और इनोवेशन का संगम है, जो हर राइडर के लिए उनकी लाइफस्टाइल के अनुसार कवरेज उपलब्ध कराता है। चाहे आप टियर-3 शहर के पहले-बार बायर हों, मेट्रो में रोज़ाना कम्यूटर हों या EV उत्साही—हर किसी के लिए एक इंश्योरेंस सॉल्यूशन अब मौजूद है।

डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर पॉलिसी को पारदर्शी बना रहा है, AI-ड्रिवन मॉडल्स बेहतर प्राइसिंग दे रहे हैं और EV-केंद्रित ऐड-ऑन भविष्य की तैयारी कर रहे हैं। इंडस्ट्री अब सच में इनक्लूसिव ग्रोथ की ओर बढ़ रही है। तो अगली बार जब आप पॉलिसी खरीदें या रिन्यू करें, तो सिर्फ इतना मत पूछें—"सबसे सस्ती Bike Insurance कौन सी है?" बल्कि यह पूछें—"कौन सा प्लान मेरी राइडिंग स्टाइल और मेरे फ्यूचर को सबसे अच्छा सुरक्षित करता है?"

डिजिटल इंडिया में Bike Insurance अब सिर्फ लीगल राइडिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि स्मार्ट राइडिंग और मैक्सिमम कवरेज का नाम है।

 

 

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

News Editor

Radhika

Related News