रिश्वत मामले में एफआईआर रद्द कराने के लिए बिचौलिए ने किया अदालत का रुख

punjabkesari.in Saturday, Oct 27, 2018 - 01:31 AM (IST)

नई दिल्लीः सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की कथित संलिप्तता वाले रिश्वतखोरी के मामले में गिरफ्तार बिचौलिये मनोज प्रसाद ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का रूख कर अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की मांग की। व्यवसायी एवं बिचौलिए मनोज प्रसाद की याचिका सुनवाई के लिए अदालत के समक्ष सोमवार को आने की संभावना है, जब अदालत अस्थाना और पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र कुमार की दो अलग लेकिन समान याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। कुमार को सीबीआई ने 22 अ€टूबर को गिरफ्तार किया था।

क्या है पूरा मामला
प्रसाद की ओर से उनकी बहन ने अदालत में याचिका दायर की है। प्रसाद 30 अ€टूबर तक सीबीआई हिरासत में है। व्यवसायी ने 15 अ€टूबर को दर्ज प्राथमिकी रद्द करने और याचिका का निपटारा होने तक एजेंसी की जांच पर रोक लगाने की मांग की है। दुबई स्थित बुर्ज खलीफा के निवासी प्रसाद ने सीबीआई, इसके प्रमुख आलोक वर्मा, पुलिस अधीक्षक एसएस गुरूम, उपाधीक्षक अजय कुमार बस्सी को इस विषय में प्रतिवादी बनाया है। गौरतलब है कि सतीश बाबू सना की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उच्च ‹यायालय ने 23 अ€टूबर को सीबीआई को अस्थाना के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही में यथास्थिति कायम रखने को कहा था। दरअसल, अस्थाना ने रिश्वत के आरोपों को लेकर अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को चुनौती दी थी।

क्या कहा कोर्ट ने
सीबीआई 29 अ€टूबर तक अस्थाना को गिरफ्तार नहीं कर सकती है जो सुनवाई की अगली तारीख है। उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि मामले की प्रकृति और गंभीरता पर विचार करते हुए जांच पर स्थगन नहीं है। अदालत ने नोटिस जारी किए और जांच एजेंसी, वर्मा तथा संयु€त निदेशक ए. के. शर्मा का, दोनों याचिकाओं पर जवाब मांगा। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को भी नोटिस जारी किया गया है। सीबीआई इसी विभाग के अधिकार क्षेत्र में आती है और नौकरशाहों के खिलाफ जांच के लिए इसकी इजाजत लेने की जरूरत होती है। कुमार के वकील ने भी अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है।

सीबीआई ने 22 अ€टूबर को अपने डीएसपी कुमार को रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार किया था। इस मामले में अस्थाना भी कथित तौर पर संलिप्तता हैं। मांस निर्यातक मोइन कुरैशी की संलिप्तता वाले एक मामले में जांच अधिकारी रहे कुमार को कारोबारी सतीश सना का बयान दर्ज करने में फर्जीवाड़ा करने के आरोपों को लेकर गिरफ्तार किया गया था। यह आरोप है कि मामले में राहत देने के लिए मनोज प्रसाद के जरिए दो करोड़ रूपये की रिश्वत दी गई थी।  


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Yaspal

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