‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ का विचार संविधान की भावना के खिलाफ: कांग्रेस
Tuesday, Jul 10, 2018 - 07:45 PM (IST)
नई दिल्लीः कांग्रेस ने लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के विचार को खारिज करते हुए इसे देशवासियों के लोकतांत्रिक अधिकारों तथा संविधान की मूल भावना के विरुद्ध करार दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने मंगलवार को केंद्र पर आरोप लगाया कि मोदी सरकार इस तरह का प्रयास करके लोगों को संविधान में सरकारें चुनने और गिराने के मिले अधिकारों पर हमला कर रही है। इससे देश की जनता को सरकारों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की इजाजत देने के संविधान में मिले अधिकार को छीनने का प्रयास किया जा रहा है।
एक चुनाव एक राष्ट्र के विचार को देश को राष्ट्रपति शासन की तरफ धकेलने की कोशिश करार देते हुए उन्होने कहा कि पूरे देश में अगर एक साथ चुनाव कराए जाते हैं और कोई राज्य सरकार एक साथ हुए चुनाव के बाद पांच साल का कार्यकाल पूरा करने से पहले ही गिर जाती है तो वहां राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ेगा और यह शासन फिर पांच साल तक जारी रहेगा। प्रवक्ता ने कहा कि इसी तरह से लोकसभा यदि किन्हीं कारणों से भंग हो जाती है और चुनी हुई सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाती है तो फिर एक साथ चुनाव कराने की अवधि तक पूरे देश में राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ेगा।
सिंघवी ने कहा कि Þमोदी सरकार का यह देश के संघीय ढांचे को ध्वस्त करने का प्रयास है। उसका पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने का फैसला संविधान पर एक जहर बुझे तीर जैसा प्रहार है और एक साथ चुनाव कराने के इस तरह के ‘लच्छेदार मीठे प्रस्ताव से लोकतंत्र ‘एकतंत्र’ बन जाएगा। उन्होंने कहा कि देश में आजादी के बाद से विधान सभाओं और लोकसभा के चुनाव अलग अलग होते रहे है। संविधान सभा के विद्वान सदस्यों ने तीन साल तक संविधान निर्माण के लिए सभी पक्षों पर विचार किया लेकिन एक साथ चुनाव कराने की बात कभी नहीं की।
कांग्रेस नेता ने कहा कि मान लिया जाए एक साथ पूरे देश में चुनाव कराए जाते हैं तो इसकी क्या गारंटी है कि सभी विधान सभाएं पूरे पांच साल चलेंगी। इससे पहले एक साथ चुनाव कराने की स्थिति आती है तो सबसे पहले चुनी हुई राज्य सरकारों को भंग करना पड़ेगा। अगर ऐसा होता है तो यह देश के मतदाता के साथ धोखा होगा और इस तरह की कार्यवाही की इजाजत संविधान नहीं देता है।