ऑफ द रिकॉर्डः हुवावेई पर गिरी गलवान हमले की गाज, 5G की बोली से बाहर हुई चीनी कंपनी
Thursday, Jun 25, 2020 - 02:03 PM (IST)
नई दिल्लीः हुवावेई ने यह दलील दी कि उस पर मालिकाना हक न तो चीन सरकार का है और न ही चीनी सेना (पी.एल.ए.) का। पर चीन की इस प्रमुख टैलीकॉम कंपनी के ये तर्क भारत सरकार के गले नहीं उतरे और उसने हुवावेई को 5जी टैक्नोलॉजी बोली प्रक्रिया से बाहर कर दिया है। हुवावेई को भारत सरकार ने दिसंबर 2019 में अमरीका के भारी विरोध के बावजूद अंतिम क्षणों में 5जी ट्रायल में शामिल कर लिया था। अमरीका का कहना था कि यदि हुवावेई को 5जी टैक्नोलॉजी में प्रवेश करने दिया गया तो उससे राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी और उसके दूरगामी परिणाम होंगे।
दिसंबर में ही मोदी सरकार को रोकने के लिए कुछ अमरीकी अधिकारी विशेष रूप से भारत आए थे। परंतु मोदी सरकार ने उनकी चेतावनियों को अनदेखा करते हुए 5जी ट्रायल में हुवावेई को शामिल कर लिया था। अब लद्दाख की गलवान घाटी में जो कु छ हुआ, उसने एक ही झटके में सब कुछ बदल दिया है।
बड़े मंत्रियों एवं दूरसंचार अधिकारियों की बैठक में 5जी ट्रायल को ही स्थगित करने तथा दिसंबर 2019 में शुरू की गई पूरी प्रक्रिया को रोक देने का फैसला किया गया। जहां तक हुवावेई की बात है जो अमरीका, जापान, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने या तो उस पर पूर्ण पाबंदी लगा दी है या यूनाइटिड किंगडम जैसे देश ने 5जी ट्रायल में उसे सीमित भागीदारी की अनुमति दी है। कोविड-19 से गलत ढंग से निपटने के लिए भारत सहित दुनियाभर के 63 देशों की नाराजगी झेल रहे चीन को अब वैश्विक स्तर पर 5जी निवेश को लेकर अलग-थलग किया जा सकता है।
दूरसंचार विभाग ने बी.एस.एन.एल. को 4जी उपकरण सप्लाई करने वाली चीनी कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है जिसके लिए कानूनी प्रक्रिया जल्द शुरू हो जाएगी। भारत अपने 600 मिलियन वैब यूजर्स के लिए हाईस्पीड इंटरनैट नैटवर्क सुधारने के लिए 5जी स्पैक्ट्रम की नीलामी करने ही वाला था परंतु अब यह साफ हो गया है कि 5जी नीलामी और ट्रायल 2021 तक रोक दिए गए हैं। हां, इस कदम से आवश्यक स्रोत जुटाने की भारत की योजना को भी धक्का लगेगा।