लाहौर में सरबजीत के हत्यारे का The End, अज्ञात हमलावर ने आमित तांबा को मारी गोली

punjabkesari.in Sunday, Apr 14, 2024 - 07:06 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः पाकिस्तान की जेल में भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की हत्या के आरोपी एवं आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के करीबी सहयोगी आमिर सरफराज ताम्बा की रविवार को लाहौर में अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।

सूत्रों ने बताया कि ताम्बा पर मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने पाकिस्तान में लाहौर के इस्लामपुरा इलाके में हमला किया और उसे नाजुक हालत में एक अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। कड़ी सुरक्षा वाली कोट लखपत जेल के अंदर, ताम्बा सहित अन्य कैदियों द्वारा किए गए बर्बर हमले के कुछ दिनों बाद सिंह (49) की दो मई 2013 की सुबह लाहौर के जिन्ना अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई थी। हमले के बाद, करीब एक हफ्ते तक सिंह अचेत रहे थे।

ताम्बा का जन्म 1979 में लाहौर में हुआ था और वह लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक का करीबी सहयोगी है। पाकिस्तानी कैदियों के एक समूह ने सिंह पर ईंट और लोहे की छड़ों से हमला किया था। सिंह को 1990 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में कई बम विस्फोटों में संलिप्त रहने का कथित तौर पर दोषी पाया गया था और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी।

पाकिस्तान जेल में बंद थे सरबजीत
भारत के रहने वाले सरबजीत को पाकिस्तान में पकड़ लिया गया था। वहां की एक अदालत ने आतंकवाद और जासूसी के लिए दोषी ठहराया था। उन्हें 1991 में मौत की सजा सुनाई गई थी। हालांकि इसके बाद सरकार ने 2008 में सरबजीत को फांसी देने पर अनिश्चितकाल के लिए रोक लगा दी थी।

2013 में हुई थी सरबजीत की मौत
सरबजीत को जेल से बाहर निकालने के लिए उनकी पत्नी सुखप्रीत कौर ने काफी कोशिशें की थी लेकिन, अप्रैल 2013 में लाहौर में कैदियों के झगड़े के बाद सरबजीत सिंह की मौत हो गई थी। इस घटना में अमीर सरफराज भी शामिल था। इसी साल जून महीने में सरबजीत की बहन दलबीर कौर का भी निधन हो गया था। हालांकि उन्होंने भी अपने भाई को जेल से बाहर निकालने के लिए काफी संघर्ष किया था। जानकारी के लिए आपको बता दें, साल 2022 में सरबजीत सिंह की पत्नी की सड़क हादसे में मौत हो गई थी।

पाक में कैसे पकड़े गए सरबजीत
साल 1990 में सरबजीत सिंह को मनजीत सिंह के नाम से भारत से सटी हुई कौसर सीमा से गिरफ्तार किया गया था। सरबजीत ने तर्क दिया कि वे भारतीय पंजाब के तरन तारन के निवासी हैं। जीवन चलाने के लिए वो किसानी करते हैं। और गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान आ गए हैं। इसके बाद पाकिस्तान में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। और 1990 में ही अक्टूबर में सरबजीत पर जासूसी और बम धमाके कराने का आरोप लग गया था। इसके बाद लाहौर की एक अदालत में उनपर मुकदमा चलने लगा।

अदालत ने मौत की सजा सुना दी
इसी मामले में साल 1991 में निचली अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुना दी थी। अदालत के इस फैसले को हाई कोर्ट ने भी सही ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी फैसले को सही माना। इसके बाद सरबजीत के लिए उनकी बहन ने कई बार दया याचिका दायर की लेकिन कुछ राहत नहीं मिली। इसके बाद जून 2012 में पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने सरबजीत की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।

भाई की रिहाई के लिए खूब चक्कर काटे
साल 2013 में पाकिस्तान जेल में सरबजीत की हत्या कर दी गई थी। साल 1991 में भाई को मौत की सजा मिलने के बाद से ही उनकी बहन दलबीर कौर ने अपने भाई को जेल से रिहा कराने के लिए कई प्रयास किए। अपने भाई को बचाने के लिए उन्होंने एक मुहिम की भी शुरुआत की थी। इस दौरान उन्हें सोशल मीडिया से लेकर कई जगहों से सहयोग मिला। हालांकि ये सहयोग इतना काफी नहीं था कि सरबजीत सिंह को बचाया जा सके। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार अपने भाई की रिहाई के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विदेश मंत्रालय तक के चक्कर काटती रहीं।

2016 में सरबजीत पर बनी फिल्म
साल 2011 में वह भाई से मिलने पाकिस्तान गई थीं। 2013 में सरबजीत पर हमले की सूचना जब भारत में मिली तो वह सरबजीत की बेटियों को लेकर पाकिस्तान गईं। पाकिस्तान की जेल में जान गंवाने वाले सरबजीत पर 2016 में फिल्म भी बनी थी। सरबजीत की भूमिका रणदीप हुड्डा ने निभाई थी। वहीं उनकी पत्नी दलबीर कौर का रोल ऐश्वर्या राय ने निभाया था। सरबजीत की जिंदगी पर बनी इस फिल्म ने दर्शकों का दिल जीत लिया। क्रिटिक ने भी इस फिल्म की खूब तारीफ की। लोगों के बीच चर्चा में रही इस फिल्म में बॉलीवुड एक्टर रणदीप हुड्डा प्रमुख भूमिका में नजर आए थे। अपने किरदार के लिए रणदीप ने खूब मेहनत की थी।

 


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Content Writer

Yaspal

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