कांग्रेस ने साधा केंद्र पर निशाना, कहा- मोदी के नोटबंदी से तालाबंदी तक के सफर में डूब गई अर्थव्यवस्था

Friday, Oct 08, 2021 - 08:59 PM (IST)

नई दिल्लीः कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रोफेसर गौरव बल्लभ ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के पास कोई आर्थिक नीति नहीं है जिसके कारण जीडीपी गिर रहा है, संगठित और असंगठित क्षेत्र खत्म हो रहा है, बेरोजगारी साढ़े चार दशक के शीर्ष पर है और उद्योगों पर ताले लग रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री पद तक के 20 साल के सफर पूरा होने पर सरकारी जश्न को लेकर प्रोफेसर गौरव बल्लभ ने कहा कि मोदी सरकार आर्थिक प्रबंध में पूरी तरह विफल है। उसकी आर्थिक नाकामयाबी के कारण सकल घरेलू उत्पाद-जीडीपी 2016-17 की तुलना में 2020-21 में घटकर महज 4.3 प्रतिशत रह गया है।

आर्थिक विकास की दर कोरोना महामारी से पहले ही आधा से कम रह गयी थी और फिर कोरोना के कारण पहले से ही कमजोर हो चुकी भारतीय भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे ज्यादा ढह गयी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के पास आर्थिक विकास का कोई द्दष्टिकोण नहीं है जिसके कारण नोटबंदी से लेकर कोरोना के कारण हुई तालाबंदी तक के सफर ने देश की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया। असंगठित क्षेत्र नोटबंदी के कारण खत्म हो गया था और नोटबंदी के बाद यह क्षेत्र फिर अब तक उठ नहीं पाया है। नोटबंदी के बाद सरकार ने 2017 में बिना तैयारी के जीएसटी लागू किया जिसके कारण संगठित क्षेत्र भी तबाह हो गया।

कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता ने कहा कि आर्थिक हालात की स्थिति यह हो गयी कि रोजमर्रा की जरूरत के लिए सरकार कर्ज ले रही है। वर्ष 2022 तक करों से मिलने वाली आय लगभग 15.5 लाख करोड़ रुपए होगी लेकिन सरकार को कर्ज के रूप में ली गयी राशि के ब्याज के तौर पर साढ़े आठ करोड़ रुपए का भुगतान करना होगा।

प्रोफेसर गौरव बल्लभ ने कहा कि देश के आर्थिक हालात मोदी सरकार में किस कदर बिगड़ गये हैं इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि 2014 में प्रति व्यक्ति कर्ज 43124 रुपए था जो 2022 में दोगुना से भी ज्यादा बढकर 96361 रुपए हो जाएगा। उनका कहना था कि यह कर्ज इसलिए बढा है कि मोदी सरकार में सभी आर्थिक गतिविधियों को बाधित कर दिया गया है। वर्ष 2009 में जहां आर्थिक बृद्धि दर के दहाई अंक में जाने की बात होती थी वह आज रसातल में चली गयी है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को समझना चाहिए कि आर्थिक बृद्धि को बिजली के बटन की तरह से नहीं चलाया जा सकता है।

मोदी ने आर्थिक विषम परिस्थितयों का आकलन किये बिना कोरोना के दौरान सिर्फ चार घंटे के नोटिस में तालाबंदी का ऐलान कर दिया था। यही कारण है कि दुनिया के किसी भी देश में कोरोना के कारण आर्थिक हालात इतने खराब नहीं हुए जितने भारतीय अर्थव्यवस्था के हुए हैं। इस तरह से मोदी शासन में नोटबंदी से जीएसटी और तालाबंदी तक के सफर ने उद्योगों में ताले लगा दिये।

मोदी के गुजरात मॉडल को उन्होंने तथ्यहीन बताते हए कहा कि यदि इसमें दम होता तो गुजरात उच्च न्यायालय को यह नहीं कहना पड़ता कि गुजरात टाइटेनिक की तरह एक डूबता हुआ जहाज है। गुजरात के सूरत, अहमदाबाद आदि शहरों में व्यवसाय की धज्जियां उड़ रही है। राज्य में मानव संसाधन विकास के पैमाने पर राज्य निचले पायदान पर है। गुजरात मॉडल दरअसल एक व्यक्ति का चेहरा चमकाने का मॉडल है। उन्होंने सवाल कि केंद्र में मोदी सरकार के शासन में ऐसा कौन सा काम शुरू हुआ है जिसका परिणाम दिख रहा हो। मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत,स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया महज नारे बनकर रह गए हैं।

Yaspal

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