हरियाणा में सूरजमुखी के फूलों की बढऩे लगी दीवानगी
Wednesday, Jul 13, 2022 - 08:54 PM (IST)
चंडीगढ़, 13 जुलाई (अर्चना सेठी) हरियाणा के कृषि क्षेत्र में सूरजमुखी के फूलों की दीवानगी बढ़ती जा रही है। प्रदेश में अब करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, अंबाला, पंचकूला, यमुनानगर छह जिलों के किसान सूरजमुखी के फूलों की खेती करने लगे हैं जबकि पहले सिर्फ कुरुक्षेत्र, पंचकूला और यमुनानगर जिलों में ही किसान सूरजमुखी के फूल उगाते थे। आंकड़ों की मानें तो हरियाणा में अब 12,290 हैक्टेयर की कामीन पर 24,630 टन सूरजमुखी के फूलों का उत्पादन किया जा रहा है। वर्ष 2021-22 में 8280 किसानों ने मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर सूरजमुखी के फूलों के लिए रजिस्ट्रेशन करवाई थी। वर्ष 2022-23 के लिए फिलहाल 6600 से अधिक प्रदेश के किसानों ने मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर सूरजमुखी के फूलों की खेती के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है। पोर्टल पर फूलों की खेती के लिए रजिस्ट्रेशन करने वाले किसानों के फूल प्रदेश सरकार 6015 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदेगी। जबकि वर्ष 2014-15 में प्रदेश सरकार हरियाणा के किसानों से सूरजमुखी के फूल 3750 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद रही थी। किसानों को फूलों की व्यवसायिक खेती के प्रति आकर्षित करने के उद्देश्य से सरकार ने सूरजमुखी के फूलों पर न्यनूतम समर्थन मूल्य की कीमत में बढ़ोत्तरी कर दी है। हरियाणा स्टेट कोओपरेटिव सप्लाई एंड मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड और हरियाणा स्टेट वेयरहाउसिंग कोरपोरेशन को सूरजमुखी के फूलों की खरीददारी के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है। हरियाणा में मौजूदा समय में छह जिलों में सूरजमुखी के फूलों की खेती की जा रही है।
क्षेत्र बढ़ा पर प्रति एकड़ उत्पादन हुआ कम
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि सूरजमुखी के फूलों की खेती के लिए जनवरी से फरवरी के महीने के दौरान सूरजमुखी के बीज बीजे जाते हैं। फूलों की फसल को तैयार होने में तीन महीनों का समय लगता है। किसान प्रति एकड़ कामीन पर करीब 10 क्विंटल सूरजमुखी के फूलों का उत्पादन करता है हालांकि मौजूदा समय में फूलों की खेती की कामीन बढऩे के साथ प्रति एकड़ कामीन पर सूरजमुखी के फूलों का उत्पादन 8 क्विंटल हो गया है। सूरजमुखी के दानों में तेल की माज्ञा 40 फीसदी होती है। सूरजमुखी का तेल कोलैस्ट्रॉल मुक्त होने की वजह से सूरजमुखी के तेल के शौकीनों की तादाद बढ़ती जा रही है। देश के कई प्रदेशों के किसान इसी वजह से सूरजमुखी की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। प्रदेश सरकार ने भी इसी वजह से न्यूनतम समर्थन मूल्य की राशि में बढ़ोत्तरी की है। आने वाले समय में सोनीपत, पानीपत के अलावा अन्य कई जिलों के किसानों को सूरजमुखी के फूलों की खेती की तरफ प्रेरित किया जाएगा।
सूरजमुखी के फूलों की खेती से जुड़े नए जिले
हरियाणा कृषि विभाग के आंकड़ों की मानें तो वर्ष 2020-21 के दौरान करनाल में 0070 हैक्टेयर कामीन पर सूरजमुखी की खेती की जा रही है। करनाल में इससे पहले सूरजमुखी के फूलों की पैदावार नहीं की जाती थी। कुरुक्षेत्र में 6470 हैक्टेयर कामीन पर सूरजमुखी की खेती की जा रही है। कुरुक्षेत्र के किसान सालों से सूरजमुखी की खेती कर रहे हैं और अब फूलों की खेती का क्षेत्र भी बढ़ गया है। वर्ष 2016-17 में 5300 हैक्टेयर कामीन पर फूल उगाए जाते थे। कैथल जिले के किसानों ने भी अब सूरजमुखी की खेती शुरु कर दी है। यहां की 0020 हैक्टेयर कामीन पर फूल उगाए जा रहे हैं। अंबाला में 5130 हैक्टेयर कामीन पर सूरजमुखी की खेती की जा रही है। पहले अंबाला में महज 1700 हैक्टेयर कामीन फूलों की खेती को दी गई थी। पंचकूला जिले में 0480 हैक्टेयर कामीन पर फूल उगाए जा रहे हैं। यमुनानगर जिले के किसान 0120 हैक्टेयर कामीन पर सूरजमुखी के फूलों की खेती कर रहे हैं।
प्रदेश का पांच सालों के दौरान सूरजमुखी के फूलों की खेती का ब्यौरा
--वर्ष- - - - -क्षेत्र(हैक्टेयर)- - - - उत्पादन(मि.टन)
1.2020-21----12,290----------24,630
2.2019-20----9,050-----------16,730
3.2018-19----9,440-----------17,060
4.2017-18----5,010-----------9,540
5.2016-17----8,600-----------12,100
फूलों की खेती के लिए किसानों को किया जा रहा प्रेरित
हरियाणा कृषि विभाग के अधिकारी जगराज डांडी का कहना है कि प्रदेश के किसानों को सूरजमुखी के फूलों की खेती से जोडऩे के लिए प्रेरित किया जा रहा है। किसानों को वित्तीय सहयोग भी दिया जा रहा है और उनके फूलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा भी जा रहा है। फूलों की खेती व्यवसायिक खेती के तौर पर की जा रही है। देशभर में किसानों को सूरजमुखी की खेती से जोडऩे के लिए केंद्र सरकार प्रयास कर रही है और प्रदेश सरकार भी उसी तर्ज पर किसानों को व्यवासियक खेती के गुर भी सीखा रही है ताकि किसान आय से अधिक कमा सकें।