न्यायालय ने वक्फ कानून के पीछे छिपी ‘विकृत मंशा' को काफी हद तक नाकाम किया: कांग्रेस
punjabkesari.in Monday, Sep 15, 2025 - 06:26 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कांग्रेस ने वक्फ अधिनियम से संबंधित उच्चतम न्यायालय के अंतरिम आदेश का स्वागत करते हुए सोमवार को कहा कि इसने संशोधित कानून के पीछे छिपी ‘विकृति मंशा' को काफी हद तक नाकाम कर दिया है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि न्यायालय का यह फैसला न्याय, समानता और बंधुता के संवैधानिक मूल्यों की जीत के साथ ही संयुक्त संसदीय समिति में शामिल रहे उन सांसदों की भी जीत है जिन्होंने असहमति के नोट दिए थे। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कई महत्वपूर्ण प्रावधानों पर रोक लगा दी जिनमें यह प्रावधान भी शामिल है कि पिछले पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे लोग ही वक्फ बना सकते हैं।
हालांकि, शीर्ष अदालत ने पूरे कानून पर स्थगन से इनकार कर दिया। न्यायालय ने वक्फ संपत्तियों की स्थिति पर निर्णय करने के लिए जिलाधिकारी को दी गई शक्तियों पर भी रोक लगा दी और वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम भागीदारी के विवादास्पद मुद्दे पर फैसला सुनाते हुए निर्देश दिया कि केंद्रीय वक्फ परिषद में 20 में से चार से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होने चाहिए और राज्य वक्फ बोर्डों में 11 में से तीन से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होने चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘माननीय उच्चतम न्यायालय ने आज अपने अंतरिम आदेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के अपने संकल्प की पुष्टि की है। यही वह मुद्दा है जिसके लिए विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट खड़ा हुआ है।''
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उन्होंने दावा किया कि भाजपा ने एक विभाजनकारी कानून को मनमाने तरीके से लागू करने की कोशिश की थी जिसका उद्देश्य केवल सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काना और उन मुद्दों को फिर से खोलना था जिन्हें भारत ने लंबे समय से सुलझा लिया था।'' खरगे ने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी हमारे संविधान द्वारा प्रदत्त, बिना किसी भय या पक्षपात के, प्रत्येक नागरिक के अधिकारों की रक्षा के लिए दृढ़ है। इसके विपरीत, भाजपा संकीर्ण चुनावी लाभ के लिए समाज को विभाजित करने में माहिर है।''
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कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘वक्फ़ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर उच्चतम न्यायालय का आज का आदेश केवल उन दलों की जीत नहीं है ,जिन्होंने संसद में इस मनमाने क़ानून का विरोध किया था, बल्कि उन सभी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के सदस्यों की भी जीत है जिन्होंने विस्तृत असहमति नोट प्रस्तुत किए थे। उन नोट को तब नज़रअंदाज़ कर दिया गया था लेकिन अब वे सही साबित हुए हैं।'' उन्होंने कहा कि यह आदेश इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मूल कानून के पीछे छिपी विकृत मंशा को काफी हद तक निष्फल करता है।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘विपक्षी दलों की ओर से पेश वकीलों ने दलील दी थी कि यह कानून ऐसी व्यवस्था बनाएगा, जिसमें कोई भी व्यक्ति कलेक्टर के समक्ष संपत्ति की स्थिति को चुनौती दे सकेगा और मुकदमेबाज़ी के दौरान संपत्ति की स्थिति अनिश्चित बनी रहेगी। इसके अतिरिक्त, केवल वही व्यक्ति वक्फ़ में दान कर सकेगा जो पांच वर्षों से ‘मुसलमान' होने का सबूत दे सकेगा।'' रमेश ने दावा किया कि इन धाराओं के पीछे की मंशा हमेशा स्पष्ट थी कि मतदाताओं को भड़काए रखना और ऐसा प्रशासनिक ढांचा बनाना जो धार्मिक विवादों को हवा देने वालों को संतुष्ट कर सके। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘हम न्याय, समानता और बंधुता के संवैधानिक मूल्यों की जीत के रूप में इस आदेश का स्वागत करते हैं।''