...तो मुख्य चुनाव आयुक्त बनेंगे राज्यपाल या केंद्रीय मंत्री

Monday, Dec 11, 2017 - 12:49 AM (IST)

नई दिल्ली: राजनीतिज्ञों व अफसरों के बीच चर्चा है कि गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा का 150 सीटें जीतने का लक्ष्य पूरा हुआ तो जनवरी 2018 में 65 वर्ष के हो जाने के कारण मुख्य चुनाव आयुक्त पद से मुक्त हो रहे अचल कुमार ज्योति को महाराष्ट्र का राज्यपाल या केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है। 

यदि केंद्र में मंत्री बनाया जाएगा तो उनको 6 माह में राज्यसभा का सांसद बनाना होगा। उनको कहां से राज्यसभा का सांसद बनाया जाता है यह रहस्य भविष्य के गर्भ में है। फिलहाल देखिए गुजरात विधानसभा चुनाव में ई.वी.एम्ज से भाजपा की कितनी सीटें निकलती हैं। 

गुजरात विधानसभा चुनाव भारत का सबसे खर्चीला चुनाव
राजनीतिक, आर्थिक व व्यावसायिक क्षेत्र में लोगों के बीच चर्चा है कि गुजरात विधानसभा चुनाव भारत के अब तक के इतिहास में अघोषित रूप से सबसे खर्चीला चुनाव है। इसमें नोटबंदी व सत्ता में नहीं रहने के कारण विपक्ष लगभग कंगाल है, जबकि नोटबंदी करने वाला सत्ताधारी पक्ष सत्ता तंत्र व हर तरह से संसाधन, साम-दाम-दंड-भेद से मालामाल है। कुछ लोगों का कहना है कि जो पार्टी व उसके बड़े नेता, भारी खर्च व तामझाम में भीड़ जुटाकर, हवाई जहाज के दौरे वाली बड़ी-बड़ी रैलियां, सभाएं कर रहे हैं, उसका प्रति सीट अघोषित खर्च लगभग 5 से 10 करोड़ रुपए हो रहा है। इस हिसाब से इस समय जो राजनीतिक पार्टी सत्ता व संसाधन में सब पर घोषित-अघोषित रूप से भारी है उसका राज्य की 182 सीटों पर लगभग 1500 करोड़ रुपए खर्च का अनुमान है और इसमें 90 प्रतिशत से ज्यादा काला धन खर्च हो रहा है। 

मेहसाणा ने भाजपा को किया बेचैन, प्रधानमंत्री के गृहनगर में भी असंतोष
गुजरात में ऐसा आम तौर पर देखने को नहीं मिलता कि पिछले 22 सालों से सत्ता पर काबिज भाजपा का कार्यकत्र्ता आपको यह कहता मिल जाए कि इस बार पार्टी के लिए चुनावों में राह आसान नहीं है। अगर ऐसा कोई भाजपा कार्यकत्र्ता आपको मिल जाए वह भी प्रधानमंत्री के गृहनगर वडनगर में तो यह राज्य के इस हिस्से में असंतोष का स्पष्ट संकेत है। पार्टी यहां लगातार 5वीं बार सत्ता में लौटने की कोशिश में जुटी है। मेहसाणा जिले में भाजपा के खेमे में माहौल बेचैनी का है। 

इस जिले में 7 विधानसभा सीटें आती हैं। मेहसाणा और वडनगर दोनों मेहसाणा जिले में आते हैं। भाजपा के पुराने कार्यकत्र्ता दीक्षित पटेल चिंतित हैं कि 2015 में हार्दिक पटेल के नेतृत्व वाले पाटीदार अनामत आंदोलन समिति द्वारा आरक्षण के लिए शुरू किए गए प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा से नाराज पाटीदार समाज का गुस्सा चुनाव के दिन फूट सकता है जो पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है। वहीं मेहसाणा नगर पालिका में भाजपा के पार्षद फाल्गुन पटेल ने यह भी माना कि इस बार मुकाबला बेहद कड़ा है क्योंकि पटेल समुदाय में नाराजगी है। उन्होंने समुदाय के बारे में कहा, ‘‘इसे खरीदा नहीं जा सकता।’’

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