कैंसर रोगियों की देखभाल करने वाले भी होते हैं Stress का शिकार, स्टडी में लोगों ने माना-'बदल गया लाइफ स्टाइल'

Tuesday, Aug 16, 2022 - 04:12 PM (IST)

नेशनल डेस्क: एम्स-पटना के चिकित्सकों के अध्ययन के अनुसार कैंसर से जूझ रहे लोगों की देखभाल करने वालों को मनोवैज्ञानिक तनाव का सामना करना पड़ता है, जिसे अकसर नजर अंदाज कर दिया जाता है। इससे उनके जीवन की गुणवत्ता और मरीज की देखभाल प्रभावित होती है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS)-पटना के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग ने कैंसर रोगियों की देखभाल करने वालों के जीवन की गुणवत्ता जानने के लिए जुलाई 2020 से मार्च 2021 के बीच यह अध्ययन किया। 

 

350 लोगों पर किया गया अध्ययन

अध्ययन के दौरान कुल 350 तीमारदारों (देखभाल करने वाले) (caregivers) से संपर्क किया गया, जिनमें से 264 ने बात की। इन लोगों से 31 प्रश्न पूछे गए। 

  •  सात सवाल उनपर पड़े बोझ को लेकर थे
  • 13 सवाल दिनचर्या के प्रभावित होने पर
  • आठ सवाल हालात को सकारात्मक रूप से संभालने के बारे में
  • तीन सवाल वित्तीय चिंताओं के बारे में थे

 

डॉक्टर अमृता राकेश के नेतृत्व में किए गए अध्ययन के परिणाम अंतरराष्ट्रीय 'पत्रिका जनरल ट्रीटमेंट एंड रिसर्च कम्युनिकेशंस' में प्रकाशित हुए हैं। 'रेडिएशन ऑनकोलॉजी' विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर और अध्ययन के सह लेखक डॉक्टर अभिषेक शंकर ने कहा कि 

 

  • 54% उत्तरदाताओं ने कैंसर रोगी को एक बोझ माना 
  • 55 फीसद ने इलाज को लेकर वित्तीय चिंताओं की बात स्वीकार की।
  • लगभग 62 प्रतिशत को लगता है कि उनकी दिनचर्या बदल गई है 
  • करीब 38 फीसद उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने समय के साथ खुद को हालात में ढाल लिया है। 


देखभाल करने वालों का भी ध्यान रखना जरूरी

तीमारदारों से मनोवैज्ञानिक तनाव के बारे में भी सवाल पूछे गए। डॉक्टर ने कहा, ''तीमारदार के जीवन की खराब गुणवत्ता और मनोवैज्ञानिक तनाव के बीच गहरा संबंध पाया गया।'' मुख्य लेखक डॉक्टर राकेश ने कहा कि covid-19 महामारी के कारण अध्ययन में निर्धारित समय की तुलना में अधिक समय लगा। covid-19 के कारण कम लोग कैंसर के इलाज के लिए अस्पताल आए।

 

अध्ययन की सह लेखिका और एम्स-पटना में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग की अतिरिक्त प्रोफेसर व प्रमुख डॉक्टर प्रितांजलि सिंह ने कहा, ''कैंसर पर जिस तरह से ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है, उसी तरह रोगियों के तीमारदारों की बेहतरी पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। रोगियों के साथ रहने पर इनके जीवन की गुणवत्ता पर भी सीधा प्रभाव पड़ रहा है।'' उन्होंने कहा कि समय-समय पर ऐसे लोगों के हालात के बारे में जानकारी लेना और उनकी मदद करना जरूरी है। अध्ययन में कहा गया है कि बीते वर्षों के दौरान कैंसर के मामलों में कई गुणा वृद्धि हुई है और विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैश्विक स्वास्थ्य अनुमान 2019 के अनुसार कैंसर उन 10 रोगों में शामिल हो गया है, जिनसे दुनियाभर में सबसे ज्यादा मौत होती हैं।

Seema Sharma

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