आधार न तो सरकारी निगरानी का तंत्र, न निजता का उल्लंघन करने वाला : UIDAI

Wednesday, Sep 26, 2018 - 08:26 PM (IST)

नई दिल्ली: भारत विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने आधार को संवैधानिक रूप से वैध बताने के उच्चतम न्यायालय के फैसले को ऐतिहासिक बताया है। आधार जारी करने वाले प्राधिकरण ने बुधवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय ने बायोमीट्रिक पहचान प्रणाली को वैध ठहराया है। प्राधिकरण का कहना है कि आधार न तो सरकारी निगरानी का तंत्र है और न ही यह निजता का उल्लंघन करता है।

यूआईडीएआई ने कहा कि इस फैसले से यह स्थापित हो गया है कि आधार सरकारी निगरानी का तंत्र नहीं है क्योंकि जो न्यूनतम आंकड़े हैं उनसे रूपरेखा नहीं बनाई जा सकती। किसी तरह का दुरुपयोग रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय है। प्राधिकरण ने कहा कि आधार कानून न्यायिक समीक्षा में टिका है और कानून का उद्देश्य वैध है।

यूआईडीएआई ने कहा कि न्यायालय ने आधार को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया है और यह स्वीकार किया है कि इस 12 अंक की बायोमीट्रिक पहचान के पीछे सरकार की मंशा सही है। यूआईडीएआई के मुख्य कार्यकारी अजय भूषण पांडे ने कहा 4-1 से शीर्ष अदालत का फैसला आधार के पक्ष में है। पांडे ने कहा, ‘यह फैसला 4-1 से आधार के पक्ष में है। न्यायालय ने आधार को संवैधानिक दृष्टि से वैध ठहराया है। यह गरीबों और हाशिये पर रह रहे वर्ग को सशक्त करता है।

आधार का इस्तेमाल सब्सिडी और सरकारी योजनाओं में होगा जिससे सरकारी कोष का दुरुपयोग नहीं हो सकेगा। इसका इस्तेमाल आयकर के लिए होगा और कर चोरी तथा कालेधन पर अंकुश लगेगा।’ प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि आधार का मकसद समाज के हाशिये पर रह रहे लोगों तक लाभ को पहुंचाना है। पीठ ने आधार कानून की धारा 57 को हटा दिया है। इसके तहत निजी इकाइयों को आधार आंकड़े लेने की अनुमति थी। साथ ही पीठ ने यह व्यवस्था दी है कि आधार के सत्यापन वाले आंकड़ों को छह महीने से अधिक तक स्टोर कर नहीं रखा जा सकता। 

shukdev

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