जिस घर में मिली 11 लाशें, वहीं बनेगा मंदिर

Thursday, Jul 05, 2018 - 10:38 AM (IST)

नई दिल्ली: संत नगर के गली नंबर-4 स्थित मकान में भाटिया परिवार के 11 सदस्यों की मौत के बाद वहां अब कोई रहने को तैयार नहीं है। डर के कारण रात के वक्त स्थानीय लोग भी उस गली से गुजरने से बच रहे हैं। यही नहीं उस मकान को मंदिर बनाने के लिए स्थानीय लोगों ने परिवार के बड़े बेटे दिनेश से चर्चा की है। इस बात पर दिनेश ने सहमति जताई है। परिवार की एक मात्र बची बेटी सुजाता को जरूर इस बात पर अभी एतराज है। पुलिस की जांच में पता चला है कि ललित साईं बाबा का भक्त था। स्थानीय निवासी नवनीत बत्रा ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है। हालांकि उन्होंने बताया कि परिवार के साथ जो भी हुआ बहुत गलत हुआ।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि परिवार का तंत्रमंत्र की ओर ज्यादा झुकाव था। लोग घर मेें अक्सर धार्मिक अनुष्ठान करते रहते थे। इसकी पुष्टि घर से बरामद रजिस्टर से भी हुई है। ऐसा छोटे बेटे ललित के कहने पर किया जाता था। जबकि उनकी मानसिक हालत ठीक नहीं थी। दावा था कि दिवंगत पिता उनके सपने में आते थे। उन्होंने परिवार के लोगों को मोक्ष के लिए विशेष धार्मिक उपाय करने को कहा था। एक साथ पूरे परिवार की मौत से परिजन व स्थानीय निवासी स्तब्ध हैैं। परिवार के बड़े बेटे दिनेश परिवार के साथ राजस्थान में रहते हैैं और सिविल कॉन्ट्रेक्टर हैं, जबकि बड़ी बहन सुजाता अपने परिवार के साथ हरियाणा में रहती हैैं।

रविवार से सभी दिल्ली में थे। मंगलवार को चौथे की रस्म के बाद सभी परिजन अपने-अपने घर को वापस लौट गए। आसपास के लोगों की मानें तो परिवार के अन्य सदस्य देश के विभिन्न भागों में बस चुके हैैं। उनकी दिल्ली में रहने की कोई इच्छा नहीं है। वहीं, 11 लोगों की मौत के कारण बेचने की स्थिति में इस घर को खरीदने वाला कोई तैयार नहीं होगा। लिहाजा लोगों ने इस घर को मंदिर बनाने की इच्छा भाटिया परिवार के सदस्यों के सामने रखी। इसपर वे सोच-विचार कर रहे हैैं। लोगों का मानना है कि मोक्ष के चक्कर में सभी की जान गई है। मंदिर के निर्माण से उनकी आत्मा को शांति मिलेगी।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से केस की तफ्तीश
क्राइम ब्रांच वैज्ञानिक दृष्टिकोण से केस की तफ्तीश आगे बढ़ाने में लगी है, ताकि प्रर्याप्त सबूत जुटाकर कड़ियों को एक-दूसरे से जोड़ा जा सके। कोर्ट में पेश की जाने वाली क्लोसर रिपोर्ट में हत्या के एंगल को खारिज किया जा सके। इसके लिए पुलिस पोस्टमार्टम, एफएसएल, बिसरा, साइको अटोप्सी रिपोर्ट को अपना आधार बनाएगी। घटनास्थल से मिले नोट्स को किसी बड़े हॉस्पिटल के मनोचिकित्सक एक्सपर्ट के पास भेजने की तैयारी है, जो इन नोट्स का अध्ययन कर अपना कमेंट दे सकें। नोट्स लिखने वाले की मनोदशा का आकलन कर बता सके कि इन्हें लिखने वाला किस हद तक आगे कदम बढ़ा सकता है।

Seema Sharma

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