जावड़ेकर ने लगाई प्रोफेसर को लताड़, टीचर ने कहा- सरकार ही नौकरी देने में नाकाम

Sunday, Jul 30, 2017 - 02:13 PM (IST)

नई दिल्ली: बेरोजगारी, महंगाई के साथ बढ़ते खर्चों ने उच्च शिक्षितों को अपने लक्ष्य से भटका दिया है। पीएचडी और प्रोफेशनल डिग्रीधारी तमाम बेरोजगार सफाई कर्मचारी बनने की कतार में खड़े हो गए हैं। पीएचडी के बाद भी स्टूडेंट साफ-सफाई वाली नौकरी के लिए अप्लाई कर रहा है। इस मुद्दे पर मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और एक प्रोफेसर के बीच मतभेद देखने को मिला। उन्होंने कहा कि अगर कोई पीएचडी करने के बाद भी साफ-सफाई वाली नौकरी के लिए अप्लाई कर रहा तो इसका मतलब साफ है कि उसको कुछ पढ़ाया नहीं गया। 


उच्च शिक्षा पर बातचीत के लिए रखा गया कार्यक्रम
जानकारी के मुताबिक, कार्यक्रम में जावड़ेकर बोले कि पीएचडी का मतलब कि जो जानते हैं उससे कुछ अतिरिक्त जाना जाए। लेकिन भारत में पहले से जानने वाली चीज की दूसरे ढंग से व्याख्या कर देने को पीएचडी कहा जा रहा है। वहां मौजूद प्रोफेसर वाई एस लोन ने कहा कि अगर पीएचडी वाले स्वीपर की नौकरी के लिए अप्लाई कर रहे हैं तो इसका मतलब साफ है कि नौकरी देने में सरकार विफल रही है। दोनों ने अपनी-अपनी बात संघ से जुड़े संगठनों द्वारा करवाए गए एक कार्यक्रम में कही। यह कार्यक्रम उच्च शिक्षा पर बातचीत के लिए रखा गया था। लोन जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हैं। वे वहां स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड एसथेटिक्स (कला और सौंदर्यशास्त्र) में प्रोफेसर हैं। लोन ने आगे कहा कि पहले से जिस चीज को जानते हैं उसको और अच्छे से समझना भी पीएचडी ही है क्योंकि उससे ही नया सोचने की स्थिति पैदा होती है। लोन ने आगे कहा कि उनके पास ऐसे कई उदाहरण हैं कि पीएचडी करने वाला 15,000 रुपए महीने की नौकरी कर रहा है जो कि किसी सरकारी सफाई वाले से भी कम है। जावड़ेकर की बात से और भी कई लोग सहमत नहीं थे। 

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