ऑफ द रिकॉर्डः अस्थायी प्रमुखों के आसरे चल रही हैं ‘केंद्र सरकार की जांच एजैंसियां’

Friday, Mar 05, 2021 - 02:09 AM (IST)

नई दिल्लीः यह शायद पहली बार है कि केंद्र सरकार की अधिकतर जांच एजैंसियां कामचलाऊ रीति से अस्थायी बॉसों के अधीन फल-फूल रही हैं। उदाहरण के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सी.बी.आई.) का नेतृत्व अस्थायी मुख्य निदेशक (विशेष) प्रवीण सिन्हा कर रहे हैं। हालांकि सरकार के पास पूरा समय था कि वह आर.के. शुक्ला, जिनका रिटायर होने का समय तय था, की जगह किसी पूर्णकालिक निदेशक को चुन सकती थी। 

सी.बी.आई. निदेशक के लिए आवेदन मंगवा लिए गए थे, मुख्य विजीलैंस कमिश्नर ने आवेदनों की आरंभिक जांच-पड़ताल भी करवा ली थी परंतु नए सी.बी.आई. निदेशक का चयन करने वाले पैनल, जिसमें प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश व सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता होते हैं, में अभी इस पर चर्चा नहीं हो पाई। शुक्ला रिटायर हो गए और गुजरात कैडर के अधिकारी को सी.बी.आई. की कमान सौंप दी गई।

सरकार को लगता है कि इस तरह कमान सौंपना कानूनन गलत नहीं है। प्रवर्तन निदेशालय के संजय मिश्रा, जिन्होंने निदेशक के रूप में अपना 2 साल का कार्यकाल पूरा कर लिया, को पिछली तिथि से असाधारण विस्तार दिया गया। कानूनन उन्हें विस्तार नहीं दिया जा सकता था। इसके तोड़ के लिए सरकार ने उनकी नियुक्ति की तिथि को अलग तरीके से एडजस्ट किया। 

सरकार की एक और शीर्ष जांच एजैंसी आयकर विभाग के निदेशक (जांच) की जिम्मेदारी सी.बी.डी.टी. के प्रमुख पी.सी. मोदी निभा रहे हैं जिन्हें तीसरी बार विस्तार दिया गया। नारकॉटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एन.सी.बी.) भी तब से चर्चा में है जब से राकेश अस्थाना को उसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। राकेश अस्थाना सीमा सुरक्षा बल के निदेशक भी हैं। इनके अलावा केंद्र सरकार ने देश के सबसे बड़े अद्र्धसैनिक बल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सी.आर.पी. एफ.) के नए प्रमुख की भी नियुुक्ति करनी है जो रविवार को ही रिटायर हुए हैं। 

Pardeep

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