शिष्य की सफलता से गदगद हुए गुरु, GIFT कर दी BMW
Sunday, Jun 12, 2016 - 10:20 PM (IST)
सीकर: यह समर्पण की दास्तां है... शिष्य की मेहनत का इनाम है...पर इतना बड़ा इस शिष्य ने भी नहीं सोचा होगा। समर्पण इंस्टीट्यूट के निदेशक डा. आरएल पूनियां ने एक साल पहले ही बीएमडब्ल्यू कार खरीदी थी, जिसका वे बड़े नाजों से रख रखाव कर रहे थे। लेकिन, रविवार को उन्होंने अपना किया वादा निभाने के लिए अपनी कार अपने ही कोचिंग के एक छात्र तन्मय शेखावत को सौंप दी।
छात्र ने भी जेईई एडवांस परीक्षा के परिणाम में देश भर में ग्यारहवां स्थान हासिल कर अपने गुरू पूनिया का सिर ऊंचा कर दिया है। कार की कीमत 28.50 लाख रुपए बताई गई है। गाड़ी की चाबी भी हाथों-हाथ उस छात्र को देकर सबको चौंका दिया।
दरअसल हुआ यूं कि दो साल पहले इंस्टीट्यूट में मोटिवेशनल सेमिनार आयोजित हुआ था, जिसमें निदेशक पूनियां ने घोषणा कर दी कि जेईई में यदि कोई स्टूडेंट ऑल इंडिया लेवल पर टॉप- 20 स्थानों में कब्जा जमाएगा, उसे वे उसे उस समय की अपनी सबसे नई कार उसे उपहार में दे देंगे। बस फिर क्या था। रविवार को ही जेईई एडवांस के परिणाम में इंस्टीट्यूट के छात्र तन्मय शेखावत ने अपने समर्पण से सामान्य वर्ग में ऑल इंडिया स्तर पर 11वीं रैंक हासिल कर वह शर्त पूरी कर दी, जिसके बदले में पूनियां ने रविवार दोपहर को आयोजित कार्यक्रम में अपनी बीएमडब्ल्यू कार उस छात्र को तत्काल चाबी सौंपकर दे दी।
दरअसल हुआ यूं कि दो साल पहले इंस्टीट्यूट में मोटिवेशनल सेमिनार आयोजित हुआ था, जिसमें निदेशक पूनियां ने घोषणा कर दी कि जेईई में यदि कोई स्टूडेंट ऑल इंडिया लेवल पर टॉप- 20 स्थानों में कब्जा जमाएगा, उसे वे उसे उस समय की अपनी सबसे नई कार उसे उपहार में दे देंगे। बस फिर क्या था। रविवार को ही जेईई एडवांस के परिणाम में इंस्टीट्यूट के छात्र तन्मय शेखावत ने अपने समर्पण से सामान्य वर्ग में ऑल इंडिया स्तर पर 11वीं रैंक हासिल कर वह शर्त पूरी कर दी, जिसके बदले में पूनियां ने रविवार दोपहर को आयोजित कार्यक्रम में अपनी बीएमडब्ल्यू कार उस छात्र को तत्काल चाबी सौंपकर दे दी।
सोने पर सुहागा, लेकिन देना ज्यादा बेहतर
बीएमडब्ल्यू की सौगात को छात्र तन्मय ने सोने पर सुहागा बताया। कहा-ऑल इंडिया लेवल पर 11वीं रैंक के साथ बीएमडब्ल्यू गाड़ी मिलना वास्तव में लाजवाब है। जिस दिन गाड़ी की घोषणा हुई थी, उस दिन से ही उम्मीद थी कि इस उपहार का हकदार में ही बनूंगा। हालांकि तन्मय का ये भी कहना था कि वह यह कार लेने का इच्छुक नहीं है। क्योंकि जिसकी शिक्षा की बदौलत उसने जेईई में यह उपलब्धि हासिल की है। उस गुरू से कुछ लेने की बजाय दक्षिणा के तौर पर कुछ देना ज्यादा बेहतर था।
मेरे उपहार से भी बड़ा छात्र का तोहफा
छात्र ने मेहनत दिल जीत लिया है। खुद मैेने एक सेमीनार में गाड़ी देने की घोषणा की थी। जब छात्र ने मेहनत से वह लक्ष्य हासिल कर लिया तो मैंने भी मेरा किया वादा निभा दिया है। सीकर में पहली बार टॉप 15 में किसी छात्र ने जगह बनाई है। जिसके सामने यह उपहार कुछ नहीं है।