टी.डी.पी. और जदयू की निगाहें आगामी बजट पर, नीतीश ने बिहार के लिए मांगे हैं 30 हजार करोड़

punjabkesari.in Wednesday, Jul 10, 2024 - 08:40 AM (IST)

नेशनल डेस्क:  एन.डी.ए. की दो सबसे बड़ी सहयोगी पार्टियों की निगाहें  23 जुलाई को संसद में पेश होने वाले यूनियन बजट पर हैं। तेलुगु देशम पार्टी (टी.डी.पी.) के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू जहां पहले ही आंध्र प्रदेश के की परियोजनाओं के लिए जहां एक लाख करोड़ से ज्यादा की मांग कर चुके हैं, वहीं अब यह कहा जा रहा है कि बिहार के सी.एम. और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) प्रमुख नीतीश कुमार ने भी केंद्र सरकार से राज्य के लिए 30 हजार करोड़ रुपए की मांग कर डाली है। मामले से जुड़े जानकारों का कहना है कि केंद्र सरकार को बिहार से अनुरोध प्राप्त हुआ है, लेकिन अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि इस साल राज्य को कितना बजट आवंटित किया जाएगा?  एक रिपोर्ट में सुत्रों के हवाले से कहा गया है कि मुताबिक नीतीश सरकार ने पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट-पूर्व बैठक के दौरान यह राज्य के लिए फंड्स का अनुरोध किया था।

अधिक उधार लेने की अनुमति चाहते हैं दोनों राज्य
भाजपा हाल ही में हुए चुनावों में पूर्ण बहुमत हासिल करने में विफल रही है और शासन जारी रखने के लिए अपने सहयोगियों के समर्थन पर निर्भर है। भाजपा के दोनों सहयोगी चाहते हैं कि संघीय सरकार उन्हें अपने शासित राज्यों में अधिक उधार लेने की अनुमति दे। राजकोषीय नियमों के अनुसार राज्यों को अपने उधार को क्षेत्र के सकल घरेलू उत्पाद के 3% तक सीमित रखना चाहिए। जानकारों का कहना है कि बिहार ने बिना किसी शर्त के 1% अतिरिक्त हेडरूम मांगा है, जबकि आंध्र प्रदेश ने 0.5% का अनुरोध किया है।

9 हवाई अड्डे और 7 मेडिकल कॉलेज चाहता है बिहार
बिहार में नीतीश सरकार राज्य में 9 हवाई अड्डों, 4 नई मेट्रो लाइनों और 7 मेडिकल कॉलेजों के निर्माण के लिए मौजूदा बजट में प्रावधान चाहती है। इसके अलावा सरकार ने 200 बिलियन रुपये के थर्मल पावर प्लांट की स्थापना का भी लक्ष्य रखा है। राज्य में 20,000 किलोमीटर से अधिक सड़कों की मरम्मत का काम भी होना है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार बिहार ने विशेष श्रेणी का दर्जा मांगा है।

वित्तीय तनाव झेल रहे है बिहार और आंध्र
बिहार और आंध्र प्रदेश दोनों वित्तीय तनाव का सामना कर रहे हैं, जिससे विकास परियोजनाओं पर खर्च करने की उनकी क्षमता कम हो रही है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान पर बिहार का खर्च राज्य की राजस्व आय का 40% से अधिक है। पूर्वोत्तर राज्य देश के सबसे गरीब राज्यों में से एक है, जहां प्रति व्यक्ति आय 2023 वित्तीय वर्ष में लगभग 59,000 रुपये होने का अनुमान है, जो राष्ट्रीय औसत के आधे से भी कम है।


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Content Editor

Mahima

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