दिल्लीः करोड़ों का टैक्स, फिर भी सुविधाएं नहीं, कुछ एेसी है बड़े बाजारों की स्थिति

Monday, Dec 09, 2019 - 05:36 AM (IST)

नई दिल्लीः उपहार कांड में सिनेमा हॉल लाक्षागृह बन गया था तो रविवार की तड़के फिल्मिस्तान इलाके की अनाज मंडी में बैग, जैकेट, लैंप, प्लास्टिक आदि सामान बनाने की चार मंजिला फैक्ट्री लाक्षागृह बन गई। यहां पर दूसरी मंजिल पर लगे बिजली मीटर के पास तार में हुआ शार्ट सर्किट डेथ सर्किट बन गया और उससे लगी आग और धुआं 43 मौतों का कारण बना। इस अग्निकांड का शिकार हुए 12 लोग अब भी जिंदगी के लिए जूझ रहे हैं। हादसा सुबह 5:18 बजे हुआ।

जिस फैक्ट्री में आग लगी वह अवैध रूप से चल रही थी। ना तो कोई लाइसेंस था और ना ही फायर की एनओसी ही थी। जिसके चलते फैक्ट्री मालिक पर आईपीसी की धारा 304 और 285 (लापरवाही) के तहत केस दर्ज किया गया है। इस मामले में देर शाम पुलिस ने फैक्ट्री मालिक रेहान और उसके मैनेजर फुरकान को गिरफ्तार कर लिया। दोनों घटना के बाद फरार हो गए थे। प्रारंभिकजांच के तहत ज्यादातर लोगों की मौत दम घुटने के कारण हुई है, क्योंकि हादसा जिस समय हुआ उस दौरान सभी लोग गहरी नींद में सो रहे थे और जो लोग जाग कर भागे उनमें कुछ बच गए लेकिन, ज्यादातर धुएं में दम घुटने के कारण मौत का शिकार हो गए। फैक्ट्री में प्लास्टिक का समान बेहद ज्यादा था, जिसके जलने से कार्बन मोनोऑक्साइड गैस बनी वही मौत बन गई।

करोड़ों का टैक्स, फिर भी सुविधाएं नहीं
दिल्ली का सदर बाजार,फिल्मीस्तान की अनाज मंडी,गांधी नगर का रेडीमेड कारोबार, गफ्फार मार्किट की मोबाइल मार्किट, सदर के ही दरीबाकलां,कुचा महाजनी, लाजपत राय मार्किट सहित करीब 24 मार्केट राजधानी में ऐसी है जिनका नाम एशिया के पटल पर आता है। लेकिन इन सभी मार्केटों की गलियां बेहद संकरी हैं व फायर बिग्रेड का पहुचना है नामुनकिन है। बाजारों में तारों के बुने हुए जाल बने हुए हैं । किसी भी मार्केट में फायर फाइटिंग से जुड़े नहीं इंतजाम है। अधिकांश दूकानों के पास न तो लाइसेंस न ही सुरक्षा के इंतजाम हैं। सड़कों की हालत भी बदतर है। 

ये है बड़े बाजारों की स्थिति- 

सदर बाजार मार्केट

  • इस मार्केट में करीब 17 बंडी मार्केट आती है 
  • सदर बाजार से सोने चादी, मसालों का कारोबार होता है
  • इस मार्केट में कपड़ों की भी बड़ी थोक मार्केट है, औसतन सालाना इस मार्केट 1200 करोड़ से ज्यादा कारोबार होता है
  • टैक्स में इस मार्किट की भूमिका 9 प्रतिशत है 

लाजपत राय मार्केट

  • दिल्ली की सबसे बड़ी इलेक्ट्रोनिक मार्केट व औसतन सालाना इस मार्केट में 1000 करोड़ का कारोबार होता है
  • टैक्स में इस मार्केट की भूमिका करीब 7 प्रतिशत 
  • कीमती कपड़ों और ज्वेलरी के शोरूम है व कीमती सजावट के सामानों का लिए दिल्ली में प्रसिद्ध


टैंक रोड और करोलबाग मार्केट 

  • इस मार्केट में जिंस और रेडिमेड गारमेंट्स तैयार करने की फैक्ट्रियां हैं
  • इन दोनों मार्केट का सालाना कारोबार करीब 2000 करोड़ से अधिक है
  • टैक्स में इनी दोनों मार्किट की भूमिका 12 से 14 प्रतिशत है 


जापराबाद व सीलमपुर मार्केट 

  • यहां जिंस की मिनी फैक्ट्र्यिां, जैकेट्स का थोक बाजार है
  • सीलमपुर मार्किट लेडिज गारमेंट्स और बुर्खों का सबसे बड़ा थोक बाजार है
  • इन दोनों मार्केट का सालाना कारोबार करीब 1000 करोड़ से अधिक है
  • टैक्स में इनी दोनों मार्किट की भूमिका 7 से 8 प्रतिशत है


बड़े बाजार भी नहीं सुरक्षित 
अनाज मंडी में हुई हृदयविदारक घटना के बाद लोगों की निगाहें अब देश के सबसे बड़े रेडिमेड मार्केट गांधी नगर पर टिक गया है। सकरी गलियों तक में स्थित फैक्ट्रियों में यदि चिंगारी लगी तो फिर पूरा का पूरा इलाका स्वाहा हो जाएगा। सीढिय़ां इतनी पतली हैं कि वहां से बचकर भागना मुश्किल होगा। वहां चल रहीं फैक्ट्रियां अवैध हैं ऐसा मौके पर बताया गया। लेकिन, बताने वाले ने अपना नाम बताने से इंकार कर दिया क्योंकि, उसको वहीं रहना है। करीब 15 हजार फैक्ट्रियां बतायी जाती हैं जिनमें आग से बचाव के उपकरण कुछ में ही है। अनाज मंडी में हुई घटना के बाद आज गांधी नगर मार्केट का जायजा लिया गया। गांधी नगर मार्केट देश का सबसे बड़ा कपड़ों का रेडिमेड बाजार है। यहां तीन बाजार है। 

पहला-अशोक बाजार, दूसरा-सुभाष रोड मार्केट और तीसरा-मोहल्ला रामनगर बाजार है। पूरे इलाके को मिलाकर करीब 15 हजार तो रेडिमेड कपड़ों की दुकानेें हैं जो मुख्य रोड से पतली गलियों तक में स्थित है। करीब इतनी रेडिमेड गारमेंट्स की फैक्ट्रियां भी हैं। बताया गया, पूरा का पूरा गांधी नगर विधानसभा क्षेत्र ही रेडिमेड व्यवसाय से जुड़ गया है। वेलकम, सीलमपुर, जाफराबाद, घोंडा, भजनपुरा तक रेडिमेड कपड़ों के व्यवसाय ने अपने पांव फैला चुके हैं। यहां की फैक्ट्रियों से बनने वाले कपड़े पूरे देश में भेजे जाते हैं। एक एवरेज के मुताबिक हर फैट्री में काम करने वालों की संख्या लाखों में है जिनमें महिलाओं की संख्या अधिक है। 

इस बाबत रेडिमेड गारमेंट्स एसोसिएशन के एक नेता ने बताया, मार्केट में सरकारी तंत्र का कोई योगदान नहीं है जबकि यहां से सैकड़ों करोड़ रुपये का टैक्स केन्द्र व प्रदेश सरकार को जाता है। छोटी फैक्ट्रियां अधिक हैं और बड़ों की संख्या कम है। लेकिन, यह सच है कि दैवसंयोग कोई घटना हुई तो फिर स्थिति काबू करना भारी पड़ जाएगा। फिर केवल राजनीतिक नेताओं के घडिय़ाली आंसू, आश्वासनों का दौर, आरोप-प्रत्यारोप, घटना में प्रभावित लोगों को ऊंट के मुंह में जीरा जैसी सहायता राशि देकर इतिश्री कर ली जाएगी। 

35 साल पहले रिहायशी इलाका था गांधी नगर
इस बाबत एक व्यापारी नेता ने बताया, आज से करीब 35 साल पहले तक यह इलाका रिहायशी क्षेत्र हुआ करता था। लेकिन, दिल्ली के विभिन्न इलाकों में जो व्यापारी पटरी पर कपड़ा बेचने का काम करते थे उनमें से कुछ लोग गांधी नगर क्षेत्र में आकर पहले छोटी-छोटी फैक्ट्रियां खोलकर व्यवसाय शुरू कर दिए। बाद में धीरे-धीरे यहां पर कपड़ा व्यवसाय कुकुरमुत्ते की तरह उग आया। अब तो यह देश के सबसे बड़े रेडिमेड कपड़ों के बाजार के रूप में स्थापित हो चुका है। 

Pardeep

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