रमजान में बोला था तलाक तलाक तलाक आवाज आज तक गूंजती है

Wednesday, Jul 31, 2019 - 04:20 AM (IST)

नई दिल्ली: रमजान के पाक महीने में उसे उम्मीद थी कि ईद की खुशियों से उसका घर भर जाएगा। रोजेदारों में शुमार नाजिया इसी उम्मीद से पांच वक्त की नमाज पढ़ती थी कि तीन बार भाग चुका उसका शौहर वापिस आकर ईद पर उसकी दुधमुंही बेटी को गले से लगाएगा और फिर उनकी जिंदगी आबाद हो जाएगी। लेकिन ईद से पहले ही 15वें रोजे के दिन उसके एक फोन से सब कुछ तबाह हो गया। नाजिया की ईद फीकी हो गई और अब तक उसके कानों में गूंज रहा है मैं तुझे फारिक करता हूं, तलाक...तलाक...तलाक...। 

कोलकाता के रहने वाले दिलशाद (बदला हुआ नाम) का निकाह 18 सितम्बर 2016 को नाजिया (काल्पनिक नाम) से हुआ। दिल्ली के सर्वोदय विद्यालय से 11वीं पास नाजिया खुश थी कि उसका रिश्ता पुराने रिश्तेदारों के जरिए मिला है और लड़का एक बड़ी कंपनी में है। नाजिया बताती है-‘मेरे पिता ने धूमधाम से शादी की और शादी के बाद मैं पति के साथ रह रही थी मेरे पति के अलावा मेरे साथ सास, मामा-मामी व उनकी बेटी रहती थी। इसके बाद 30 मई 2017 को सफदजंग अस्पताल में मेरी बेटी हुई और बेटी होने पर पहले तो उसने कहा कि मुझे बेटा चाहिए फिर कह दिया कि बेटी उसकी नहीं है। चार माह की दूधमुंही बच्ची छोड़कर वो भाग गए। जब उनका फोन आया तो मैंने माफी मांगी ताकि घर बसा रहे। ऐसे ही तीन बार भागे अब रमजान शुरू होने पर मैं ससुराल से मायके घर आई तो 15वें रमजान चौथी बार भाग गए।’  

नाजिया रूंधे गले से कहती हैं
‘सास अक्सर लड़ती थी और वो मां को लेकर चले जाते। ईद से पहले मेरे पापा के फोन पर फोन आया तो मैंने कहा कि ऐसे क्यों भाग कर गए हैं आप आखिर चाहते क्या हैं? इस पर उसका जवाब आया कि मैं तुझे फारिक कर देता हूं, और फिर फोन पर तलाक...तलाक...तलाक कह कर खुद गायब हो गया।’ नाजिया को इस कानून पर भरोसा तो है लेकिन उसे इससे ज्यादा भरोसा इस बात पर है कि एक दिन उसका शौहर वापिस आएगा इसलिए वह सब कुछ कहकर भी चुप रहकर अपना घर बचाने की जद्दोजहद में लगी है। 

Pardeep

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