सीरिया पर हमलों को लेकर विश्व मंच दोफाड़
Monday, Apr 16, 2018 - 09:27 AM (IST)
वॉशिंगटनः अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस द्वारा सीरिया में किए मिसाइल हमलों के बाद विश्व मंच दोफाड़ हो गया है। एक तरफ जहां ब्रिटेन, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, इस्राइल, जर्मनी, तुर्की, जार्डन, इटली, जापान सऊदी अरब समेत तमाम देश अमरीका के साथ खड़े नजर आ रहे हैं वहीं काफी आक्रामक तेवर अख्तियार कर चुके रूस के साथ ईरान, चीन हैं। ये सीरिया के राष्ट्रपति बसर अल असद का साथ दे रहे हैं। अमरीका समेत अन्य देशों ने यह हमला सीरिया में हुए रासायनिक हमले के जवाब में किया है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इतने तनाव के बावजूद अभी तीसरे विश्वयुद्ध का कोई खतरा नहीं है।
अमरीका , ब्रिटेन , फ्रांस , इस्राइल आदि के प्रमुखों ने जहां सीरिया पर मिसाइल हमले को उचित ठहराया है, वहीं रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन अब तक के अपने सबसे कड़े तेवर में हैं। पुतिन ने कहा कि यह आक्रामक कृत्य है और यह हमला सीरिया में मानवीय संकट को और अधिक बढ़ाएगा। रूस ने कहा है कि वह इसके लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुला रहा है। उसने इसे पूरी दुनिया के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर विनाशकारी प्रभाव डालने वाला बताया है। रूस का कहना है कि सीरिया पर हवाई हमले से पहले अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस समेत अन्य को अंतर्राष्ट्रीय रासायनिक हथियारों की निगरानी संस्था की जांच रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए।
उधर, फ्रांस के राष्ट्रपति एनुएल मैंक्रो ने कहा कि हम सीरिया में रासायनिक हथियारों के उत्पादन को बर्दाश्त नहीं कर सकते। सीरिया ने ऐसा करके 2017 की सहमति की सीमा का उल्लंघन किया है। वहीं ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा ने कहा कि सीरिया के रासायनिक हथियारों के जखीरे को नष्ट करने के सिवा हमारे पास कोई चारा नहीं था।अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी अपने आक्रामक अंदाज में हैं। इतना ही नहीं यूरोपीय देश, नाटो सदस्य देश भी सीरिया के खिलाफ हैं। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद यह पहली बार है, जब दुनिया के तमाम शक्तिशाली देश दो धड़े में बंटे हुए नजर आ रहे हैं। इस मामले में चीन अपने चिरपरिचित अंदाज में अलग रुख अपनाए है।
भारत नहीं चाहता सीरिया में और बढ़े तनाव, की जांच की मांग
इस बीच भारत ने भी सीरिया को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत हालात पर गंभीरता से नजर रख रहा है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह इस मामले में तनाव के बढऩे का पक्षधर नहीं है। रवीश कुमार ने भारत की विदेश नीति के अनुरूप बयान दिया है। उन्होंने भारत के पक्ष को स्पष्ट करते हुए कहा कि नई दिल्ली रासायनिक हमले को लेकर लग रहे आरोपों की उद्देश्य पूर्ण और निष्पक्ष जांच का पक्षधर है। यह जांच अंतर्राष्ट्रीय संस्था OPCW से कराई जानी चाहिए।
मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत चाहता है कि इस जांच के नतीजे आने तक सभी पक्षों को संयम से काम लेना चाहिए। इस स्थिति को देखते हुए भारत ने सभी पक्षों से संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुरुप व्यवहार करने, संवाद प्रक्रिया को निरंतर बनाये रखने तथा समाधान का उपाय तलाशने की अपील की है।भारत का मानना है सीरिया के लोग इस समय कठिन परिस्थितियों से जूझ रहे हैं। इसे संज्ञान में रखते हुए सभी पक्षों को अंतरराष्ट्रीय कानून, मूल्य मान्यता के अनुरुप व्यवहार करना चाहिए। ताकि समय रहते सीरियाई लोगों को शांतिपूर्ण जीवन जीने का अवसर मिल सके।