आतंकवाद को हथियार के तौर पर किया जा रहा इस्तेमाल: सुषमा

Wednesday, Jan 17, 2018 - 07:16 PM (IST)

नई दिल्ली: आतंकवाद पर भारत ने फिर पाकिस्तान को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आतंकवाद सभी विघटनकारी बातों की जननी है। पाकिस्तान का नाम लिये बिना इशारों में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि इससे भी बड़े खतरे की बात यह है कि आतंकवाद को सरकारों द्वारा समर्थन और उकसाया जा रहा है।

डिजिटल युग में बढ़ी चुनौती
यहां विचार संस्था आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन और विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन रायसीना डायलाग को सम्बोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवाद को लेकर शून्य सहनशीलता वक्त की मांग है। उन्होंने कहा कि एक वक्त था जब आतंकवाद को दूसरे देशों की समस्या या फिर कानून एवं व्यवस्था की समस्या बतायी जाती थी। लेकिन यही नहीं आतंकवाद को राज्य के हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। सुषमा ने कहा कि यह संदेश उन लोगों के लिये भी है जो आतंकवाद को सुविधा का हथियार मानते हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद कहीं भी हो इससे समाजों को हर जगह खतरा पैदा होता है। आज के डिजिटल युग में यह चुनौती और भी बढ़ गई है।

आतंकवाद का फैलाव चिंताजनक
9-11 के आतंकवादी हमलों के सिलसिले में विदेश मंत्री ने कहा कि अक्सर हम आतंकवाद को गैरशासित इलाकों में पैदा हुआ समझते हैं और हाल में पश्चिम एशिया में इस्लामी स्टेट (आइसिस) के तेजी से विकास की वजह से भी इस धारणा को बल मिला है लेकिन जो शासित इलाके हैं वहां से आतंकवाद का फैलाव अधिक चिंताजनक बात है।

उत्तर कोरिया के परमाणु बम कार्यक्रम में पाकिस्तान के योगदान की ओर इशारा करते हुए सुषमा ने कहा कि आज जनसंहार के हथियारों की जो बातें की जा रही हैं उनकी जड़ें पिछले सालों में है जिन्हें  विश्व समुदाय ने नजरअंदाज किया है। उन्होंने कहा कि आंतकवाद की तरह परमाणु प्रसार की चुनौतियों को भी सांचे में रख कर नहीं देखा जा सकता। चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना की ओर भी इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि एक वैशिवक अर्थव्यवस्था में कनेक्टीविटी की परियोजनाएं सलाहमशविरा के जरिये ही संचालित की जाएं। न केवल यही बल्कि पारदर्शिता, सुशासन,राजकोषीय जिम्मेदारी और व्यावसायिक लाभ के मद्देनजर भी देखा जाना चाहिये। सुषमा ने कहा कि इस तरह की परियोजनाओं में दूसरे देशों की सम्प्रभुता का भी आदर करना होगा।
 

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