आधार पर SC का बड़ा फैसला, जानिए कहां है जरूरी और कहां नहीं

Wednesday, Sep 26, 2018 - 10:09 PM (IST)

नेशनल डेस्क:  आधार कार्ड की अनिवार्यता मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुना दिया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा अपने रिटायरमेंट से पहले कई मामलों पर फैसला सुना रहे हैं, जिसमें आधार मामला मुख्य है। सरकारी नौकरी में प्रमोशन में आरक्षण पर फैसला सुनाने के बाद कोर्ट ने आधार कार्ड को लेकर भी अपना फैसला सुना दिया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई में पांच जजों की बेंच द्वारा लिए गए मुख्य फैसले इस प्रकार हैं।


 

कहां जरूरी नहीं आधार:-

  • बैंक में खाता खोलन के लिए आधार जरूरी नहीं 
  • नया मोबाइल नंबर लेने के लिए आधार जरूरी नहीं 
  • UGC, CBSE आधार को जरूरी नहीं कर सकते
  • 6 से 14 साल के बच्चे के दाखिले में आधार जरूरी नहीं
  • निजी कंपनियां नहीं कर सकतीं आधार कार्ड की मांग

 

कहां जरूरी है आधार:-

  • आयकर दाखिल करने और PAN के लिए आधार जरूरी 
  • सरकार की लाभकारी योजना और सब्सिडी का लाभ पाने के लिए आधार कार्ड जरूरी 
  • पहचान पत्र के तौर पर मान्‍य होगा आधार कार्ड 


एक नजर आधार मामले के घटनाक्रम परः 

  • जनवरी 2009 : योजना आयोग ने यूआईडीएआई को अधिसूचित किया।      
  • 2010-2011 : भारतीय राष्ट्रीय पहचान प्राधिकरण विधेयक, 2010 की शुरुआत।      
  • नवम्बर 2012 : सेवानिवृत्त न्यायाधीश के एस पुट्टास्वामी और अन्य ने आधार की वैधता को चुनौती देते हुए उच्च्तम न्यायालय में जनहित याचिकाएं दायर कीं।
  • नवम्बर 2013 : उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को प्रतिवादी बनाया। 
  • तीन मार्च, 2016 : आधार विधेयक, 2016 को लोकसभा में पेश किया गया, बाद में यह धन विधेयक के तौर पर पारित हुआ।     

 

2017

  • मई : पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर आधार विधेयक को धन विधेयक के तौर पर माने जाने के केंद्र के निर्णय को चुनौती दी। 
  • 24 अगस्त: उच्चतम न्यायालय की नौ सदस्यीय पीठ ने फैसला दिया कि निजता का अधिकार मूलभूत अधिकार है।      
  • 15 दिसम्बर: उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न सेवाओं और कल्याण योजनाओं को आधार से आवश्यक रूप से जोडऩे के लिए समय सीमा 31 मार्च 2018 बढ़ाई।       

2018 

  • 17 जनवरी : उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने आधार मामले की सुनवाई शुरू की।      
  • 25 जनवरी : उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय से कहा कि अपने आदेश में दस दिनों के अंदर संशोधन करे जिसमें उसने राज्य की निचली अदालतों में आरोपी को जमानत पर रिहा करने के लिए आधार कार्ड की प्रति को स्वीकार करना अनिवार्य बना दिया था।   

  

  • 19 फरवरी : दिल्ली भाजपा के नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की कि ‘आधार आधारित चुनाव प्रक्रिया’ को लागू करने के लिए उचित कदम उठाया जाए।      
  • 21 फरवरी : उच्चतम न्यायालय ने कहा कि आधार योजना के तहत नागरिकों का बायोमेट्रिक ब्यौरा बिना किसी कानून के एकत्रित किये जाने संबंधी कथित कमी को कानून लाकर ठीक किया जा सकता है।  

    

  • सात मार्च : उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अखिल भारतीय परीक्षाओं में छात्रों के पंजीकरण के लिए आधार नंबर अनिवार्य नहीं है।      
  • 13 मार्च : उच्चतम न्यायालय ने आधार से योजनाओं को जोडऩे की समय सीमा 31 मार्च से अगले आदेश तक के लिये बढ़ाई।
  • 22 मार्च : यूआईडीएआई के सीईओ ने कहा कि आधार इन्क्रिप्शन को तोडऩे में ‘‘दुनिया के सबसे तेज कंप्यूटर को ब्रह्मांड के जीवनकाल से ज्यादा समय लग जाएगा।’’     
  • 28 मार्च : सामाजिक कार्यकर्ता रेशमा प्रसाद ने केंद्र को निर्देश देने की मांग की किन्नरों के लिए पैन कार्ड की लिंग श्रेणी में अलग तीसरे लिंग का प्रावधान किया जाए।      

 

  • तीन अप्रैल : केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि आधार कानून उचित, निष्पक्ष और तर्कसंगत है।      
  • 17 अप्रैल : उच्चतम न्यायालय ने चिंता जताई कि आधार आंकड़े के दुरूपयोग का खतरा है।
  • 25 अप्रैल : उच्चतम न्यायालय ने आधार को मोबाइल नंबर से आवश्यक रूप से जोड़े जाने पर सवाल उठाए।      
  • दस मई : उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा।      
  • 26 सितम्बर : उच्चतम न्यायालय ने आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा लेकिन कुछ प्रावधानों को हटा दिया जिसमें इसे बैंक खातों, मोबाइल फोन और स्कूल नामांकन से जोड़ा जाना शामिल है। 

vasudha

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