सोशल मीडिया पर गलत सूचनाओं की भरमार: सुप्रीम कोर्ट

Thursday, Oct 05, 2017 - 04:45 PM (IST)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने उस मुद्दे को पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ के पास भेज दिया है जिनमें सवाल उठाए गए हैं कि क्या कोई भी सरकारी कर्मचारी अथवा मंत्री ऐसे संवेदनशील मामले पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दावा करते हुए अपने विचार व्यक्त कर सकता है जिस मामले पर जांच जारी है? प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ताओं हरीश साल्वे और फली एस नरीमन ने जो सवाल उठाए हैं , उन पर वृहद पीठ को विचार करने की जरूरत है।

पीठ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के दुरूपयोग पर चिंता जताते हुए कहा कि लोग गलत सूचनाएं, यहां तक कि अदालत की कार्यवाही संबंधी गलत सूचनाएं भी प्रसारित कर रहे हैं। न्यायमित्र के रूप में सहयोग कर रहे नरीमन ने पीठ की राय पर सहमति जताते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर गलत सूचनाओं और खराब भाषा की भरमार है और उन्होंने ऐसी सूचनाओं को देखना ही बंद कर दिया है। साल्वे ने कहा कि मैंने अपना ट्विटर अकाउंट ही बंद कर दिया। उन्होंने बताया कि एक बार वह क्रिश्चियन मेडिकल कालेज से संबंधित मामले के लिए पेश हुए थे और उसके बाद उनके ट्विटरहैंडल पर जो कुछ भी हुआ, उसे देखते हुए उन्होंने अकाउंट ही डिलीट कर दिया। उन्होंने कहा कि निजता का अधिकार अब केवल सरकार तक ही सीमित नहीं रह गया है बल्कि अब इसमें निजी कंपनियों का दखल भी बढ़ गया है। 

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