SC का अनूठा आदेश, कहा- तलाक ले लो, पर ताउम्र दोस्त बने रहो

Monday, Oct 01, 2018 - 10:54 AM (IST)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने एक दंपति को तलाक के लिए छह महीने की अनिवार्य अवधि (कूलिंग आफ पीरियड) में छूट देते हुए अलग होने को अनुमति दी। संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्ति का इस्तेमाल करते हुए न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति एस के कौल की पीठ ने कहा कि वे इस बात से संतुष्ट हैं कि दंपति ने ‘‘दोस्तों के रूप में अलग होने का सोचा समझा फैसला’’ किया है और अपने विवाह संबंध खत्म किये हैं।     

न्यायालय ने कहा, ‘‘पति और पत्नी दोनों हमारे सामने उपस्थित हैं, जो सुशिक्षित हैं। हमने उनसे लंबी बात की है। हम इस बात पर राजी हैं कि उन्होंने दोस्त के रूप में अलग होने के लिए सोचा समझा फैसला किया है। पक्षों के बीच मुकदमे की पृष्ठभूमि देखते हुए, हम इस बात पर सहमत हैं कि पक्षों को छह और महीने का इंतजार कराने की कोई तुक नहीं है।’’     

न्यायालय ने कहा कि स्थानान्तरण याचिका के लंबित रहने के दौरान, दंपति ने आपसी सहमति से समझौता कर लिया। दंपति की 2016 में दिल्ली में शादी हुई थी और वे एक महीने तक एक साथ रहे थे। विवाद होने पर वे अलग हो गये और पति ने तलाक की अर्जी दायर कर दी। महिला ने दिसंबर 2017 में गुजरात के आणंद में पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। शीर्ष अदालत ने आपसी समझौते की शर्तों पर गौर किया और कहा कि आपसी रजामंदी से तलाक का आदेश जारी किया जाता है।     

Anil dev

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