'मुफ्त में चीजें मिलने के कारण अब काम करने को तैयार नहीं लोग', चुनावी रेवड़ी बांटने की प्रथा पर बरसा सुप्रीम कोर्ट
punjabkesari.in Friday, Feb 14, 2025 - 11:47 AM (IST)
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नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों के दौरान रेवड़ी बांटने की प्रथा पर चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि इस प्रथा के कारण लोग काम करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं, क्योंकि उन्हें मुफ्त राशन और पैसे मिल रहे हैं। इस बारे में कोर्ट की पीठ ने स्पष्ट किया कि अगर लोगों को मुख्यधारा का हिस्सा बनाया जाए और राष्ट्र के विकास में योगदान करने का अवसर दिया जाए तो यह बेहतर होगा।
सुप्रीम कोर्ट का बयान
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई ने कहा कि, "दुर्भाग्य से इन मुफ्त सुविधाओं के कारण लोग काम करने के लिए तैयार नहीं होते। उन्हें मुफ्त राशन मिल रहा है, बिना किसी काम के राशि मिल रही है।" जस्टिस गवई ने आगे कहा, "हम आपके इन लोगों के प्रति चिंता को समझते हैं, लेकिन क्या यह बेहतर नहीं होगा कि उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाकर राष्ट्र के विकास में योगदान करने का मौका दिया जाए?"
केंद्र सरकार की ओर से जवाब
केंद्र सरकार की तरफ से पेश अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने बताया कि केंद्र सरकार शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन पर काम कर रही है, जिसके तहत शहरी क्षेत्रों में बेघर लोगों को आश्रय देने के उपाय किए जा रहे हैं। इस पर कोर्ट ने पूछा कि इस मिशन को लागू करने में कितना समय लगेगा और इस मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी।
दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला
दिल्ली हाई कोर्ट ने भी एक मामले में चुनावी रेवड़ी बांटने पर सुनवाई से इनकार किया। इस मामले में सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एस.एन. ढींगरा द्वारा दायर जनहित याचिका में राजनीतिक दलों द्वारा मतदाताओं को नकदी बांटने को भ्रष्ट आचरण बताया गया था और इस पर रोक लगाने की मांग की गई थी। दिल्ली हाई कोर्ट की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएं, क्योंकि इस मामले से संबंधित एक याचिका पहले ही सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
न्यायमूर्ति ढींगरा की याचिका
यह याचिका सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति ढींगरा द्वारा दायर की गई थी, जो "समय यान (सशक्त समाज)" संगठन के अध्यक्ष हैं। याचिका में उन्होंने आरोप लगाया था कि राजनीतिक दल सरकारी खजाने की कीमत पर मुफ्त चीजें बांटकर मतदाताओं से वोट हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने यह भी कहा कि इन योजनाओं के तहत राजनीतिक दल बिना मतदाताओं की अनुमति के उनका डेटा एकत्र करते हैं।
चुनाव आयोग का पक्ष
चुनाव आयोग के वकील ने इस मामले में कहा कि इस पर पहले ही सुप्रीम कोर्ट में विचार हो रहा है। उन्होंने कहा कि 2023 के आदेश के अनुसार, इस मामले में तीन जजों की बेंच गठित करने की आवश्यकता है। इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट दोनों ही रेवड़ी बांटने की प्रथा पर विचार कर रहे हैं। पीएम मोदी भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता पहले ही व्यक्त कर चुके हैं।