उच्चतम न्यायालय ने यौन अपराध वीडियो प्रतिबंधित करने का हल तलाशने के लिए बनाई समिति

Wednesday, Mar 22, 2017 - 09:52 PM (IST)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने यौन अपराध के वीडियो को सोशल नेटवर्किंग साइटों पर प्रतिबंधित करने को लेकर एक तकनीकी हल तलाशने के लिए केंद्र सरकार और इंटरनेट कंपनियों के प्रतिनिधियों की सदस्यता वाली एक समिति गठित की। न्यायमूर्ति एमबी लोकुर और न्यायमूर्ति यूयू ललित की सदस्यता वाली एक पीठ ने गूगल इंडिया, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया, याहू इंडिया, फेसबुक और अन्य इंटरनेट कंपनियों के प्रतिनिधियों को बैठक करने और एक समाधान लेकर आने के लिए 15 दिन का वक्त दिया है।

शीर्ष न्यायालय ने सभी हितधारकों के प्रतिनिधियों से बैठकों में भाग लेने और इसके नतीजों के बारे में 20 अप्रैल को सुनवाई की अगली तारीख पर जानकारी देने को कहा। सीबीआई के तहत काम करने वाले साइबर सुरक्षा के अधिकारियों ने इससे पहले पीठ को बताया कि इंटरनेट पर डेटा की अफरा तफरी रहती है और आपत्तिजनक चीजों को स्रोत स्थल पर ही रोकना एक तकनीकी चुनौती है जिसके लिए एेसी चीजों के प्रसार को रोकने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए जाने की जरूरत है। उन्होंने शीर्ष न्यायालय को बताया कि 50 देशों ने अपने क्षेत्राधिकार में बच्चों के यौन शोषण को रोकने के लिए हॉटलाइन स्थापित की हैं लेकिन भारत द्वारा एेसी सेवा शुरू किया जाना अभी बाकी है। 

अधिकारियों ने बताया कि वे लोग बच्चों से जुड़ी अश्लील चीजें रोकने के लिए इंटरपोल की मदद ले रहे हैं और जब कभी कोई शिकायत मिलती है तो इंटरनेट सेवा प्रदाताओं से आपत्तिजनक चीज को रोकने को कहा जाता है। केंद्र ने इससे पहले ही न्यायालय को बताया था कि वह यौन अपराध वाले वीडियो को सोशल मीडिया पर साझा होने से रोकने के लिए और पाबंदी लगाने के लिए एक विशेषज्ञ एजेंसी गठित करेगी। न्यायालय हैदराबाद के एनजीआे प्रजवला के द्वारा एक पत्र के साथ एक पेन ड्राइव में बलात्कार के दो वीडियो भेजे जाने पर सुनवाई कर रही थी। यह पत्र तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू को भेजा गया था। 
 

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