CBI vs CBI: जानिए क्या था पूरा घटनाक्रम

Tuesday, Jan 08, 2019 - 05:29 PM (IST)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आलोक कुमार वर्मा को सीबीआई निदेशक पद पर मंगलवार को बहाल करते हुए उनके अधिकार वापस लेने और छुट्टी पर भेजने के केन्द्र के फैसले को रद्द कर दिया। इस मामले का पूरा घटनाक्रम इस प्रकार है:

  • अप्रैल 2016: गुजरात-कैडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को सीबीआई का अतिरिक्त निदेशक नियुक्त किया गया।  
  • 3 दिसंबर: अस्थाना को तत्कालीन प्रमुख अनिल सिन्हा की सेवानिवृत्ति के बाद सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाया गया। 
  • 19 जनवरी, 2017: आलोक वर्मा को दो साल के कार्यकाल के लिए सीबीआई प्रमुख नियुक्त किया गया।  
  • 22 अक्टूबर: अस्थाना को सीबीआई का विशेष निदेशक नियुक्ति किया गया।  
  • 2 नवंबर: अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देते हुए गैर सरकारी संगठन ‘कॉमन कॉज’ की ओर से उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की।

  • 28 नवंबर: उच्चतम न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी।  
  • 12 जुलाई, 2018: वर्मा जब विदेश में थे, तब सीवीसी ने पदोन्नति पर चर्चा करने के लिए बैठक बुलाई, सीवीसी ने सीबीआई से पूछा कि इस चर्चा में उनकी तरफ से कौन भाग लेगा। इसपर सीबीआई का जवाब था कि अस्थाना को वर्मा का प्रतिनिधित्व करने के लिए अधिकृत नहीं किया गया है।
  • 24 अगस्त: वर्मा पर कदाचार का आरोप लगाते हुए अस्थाना ने कैबिनेट सचिव से शिकायत की। मामले को सीवीसी के पास भेजा गया।  
  • 21 सितंबर: सीबीआई ने सीवीसी बताया कि अस्थाना भ्रष्टाचार के छह मामलों में जांच का सामना कर रहे हैं। 
  • 15 अक्टूबर: सीबीआई ने अस्थाना, पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र कुमार, दुबई के निवेश बैंकर मनोज प्रसाद और उनके भाई सोमेश प्रसाद के खिलाफ रिश्वत के आरोपों को लेकर प्राथमिकी दर्ज की ।

  • 16 अक्टूबर: सीबीआई ने बिचौलिए मनोज प्रसाद को गिरफ्तार किया। 
  • 20 अक्टूबर: सीबीआई ने कुमार के निवास उसके मुख्यालय के कार्यालय पर छापा मारा, उनके मोबाइल फोन और आईपैड जब्त करने का दावा किया। 
  • 22 अक्टूबर: सीबीआई ने कुमार पर यह आरोप लगाते हुए उन्हें गिरफ्तार किया कि उसने कारोबारी सतीश सना के बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया, जो मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से जुड़े एक मामले में जांच का सामना कर रहा है और उसने मामले में राहत पाने के लिए कथित रूप से रिश्वत दी। 
  • 23 अक्टूबर: कुमार ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की। कुछ घंटे बाद, अस्थाना ने भी अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने और सीबीआई को उसके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाने का निर्देश देने की मांग को लेकर उच्च न्यायालय का रुख किया।
  • दिल्ली उच्च न्यायालय ने अस्थाना से संबंधित मामले में यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया, दोनों याचिकाओं पर सीबीआई और प्रमुख वर्मा से जवाब मांगा। देर रात, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने वर्मा के सभी वैधानिक अधिकारों को वापस ले लिया और एम नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम प्रमुख नियुक्त किया।
  • 24 अक्टूबर: वर्मा ने सरकार के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की। । 
  • 25 अक्टूबर: एनजीओ कॉमन कॉज ने उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर की, जिसमें अस्थाना समेत कई सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए एसआईटी गठित करने की मांग की गई।  
  • 26 अक्टूबर: उच्चतम न्यायालय ने सीवीसी को दो सप्ताह में वर्मा के खिलाफ शिकायत की जांच पूरी करने का निर्देश दिया और वर्मा की याचिका पर सीवीसी और केंद्र से जवाब मांगा। 
  • न्यायालय ने राव को कोई बड़े या नीतिगत फैसले नहीं लेने का निर्देश दिया और अब तक लिये अपने फैसलों को सीलबंद लिफाफा में रख पेश करने का भी निर्देश दिया। 
  • उच्चतम न्यायालय का एनजीओ की याचिका पर केंद्र, सीबीआई, सीवीसी, अस्थाना, वर्मा और राव को नोटिस। 
  • 30 अक्टूबर: उच्चतम न्यायालय ने हैदराबाद पुलिस को अस्थाना के खिलाफ शिकायत करने वाले व्यवसायी सतीश सना को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया। अस्थाना के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार मामले में पूर्व जांच अधिकारी सीबीआई के डिप्टी एसपी एके बस्सी ने अपने तबादले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया।
  • 31 अक्टूबर: सीबीआई के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एस एस गुर्म ने अस्थाना के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया। 
  • 1 नवंबर: सीबीआई ने उच्च न्यायालय को बताया, अस्थाना के खिलाफ एफआईआर संज्ञेय अपराध को दर्शाता है,सीबीआई, अस्थाना ने अदालत में गुर्म की याचिका का विरोध किया। 
  • 12 नवंबर: सीवीसी ने न्यायालय में सीलबंद लिफाफे में प्रारंभिक जांच रिपोर्ट दाखिल की।  18 नवंबर: पुलिस उपाधीक्षक अश्विनी गुप्ता ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर खुफिया ब्यूरो में अपने तबादले को चुनौती दी। 
  • 19 नवंबर: अस्थाना के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारी ने उनके नागपुर स्थानांतरित करने के आदेश को रद्द करने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया।
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  • 27 नवंबर: निचली अदालत ने बिचौलिए की न्यायिक हिरासत 11 दिसंबर तक बढ़ा दी।  29 नवंबर: आलोक वर्मा ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि सीबीआई प्रमुख के तौर पर दो साल के उनके निर्धारित कार्यकाल को बदला नहीं जा सकता। 
  • 5 दिसंबर: केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया, सीबीआई के दो शीर्ष अधिकारियों के बीच हुई लड़ाई हास्यास्पद है। 
  • 8 जनवरी, 2019: उच्चतम न्यायालय ने आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने और उनके अधिकार वापस लेने के केंद्र सरकार के फैसले को रद्द करते हुए सीबीआई निदेशक के तौर पर उनकी शक्तियों को फिर से बहाल कर दिया। 

shukdev

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