मणिपुर बलात्कार मामले में SC ने सेना से पूछा, रेप के आरोपों पर चुप क्यों?

Wednesday, Apr 19, 2017 - 10:56 AM (IST)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना से पूछा है कि मणिपुर में अपने कर्मियों के खिलाफ बलात्कार और हत्या के आरोपों पर चुप क्यों हैं? कोर्ट ने कर्मियों के खिलाफ मामला आगे नहीं बढ़ाने के लिए राज्य सरकार को भी सवालों के कटघरे में खड़ा किया। मणिपुर सरकार से सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एमबी लोकुर और जस्टिस यू.यू. ललित की पीठ ने पूछा कि मामला आगे नहीं बढ़ाना उनकी लाचारी थी या वो इसके लिए अपनी मौन सहमति दे चुके हैं कि ऐसे आरोपों के बाद भी सेना खिलाफ आगे नहीं जाएगी। तब अदालत ने किया यह सवाल पीठ ने भारतीय सेना और असम राइफल्स की ओर से अदालत में पेश हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से पूछा कि संभवतः आपके यहां दो कथित बलात्कारी हों। आप चुप क्यों रहे? पीठ की ओर से यह कहे जाने पर रोहतगी ने कहा कि ये केवल आरोप हैं। सवाल यह है कि बलात्कार सैन्यकर्मियों ने किया है अथवा नहीं। 

अदालत को जब यह बताया कि साल 2003 में दो सैन्यकर्मियों के खिलाफ आरोप थे कि उन्होंने 15 वर्षीय लड़की से बलात्कार किया और फिर उसने आत्महत्या कर ली, उसके बाद कोर्ट ने यह सवाल किया। पीठ को जानकारी दी गई कि बलात्कार के आरोपों की एक जांच भी की गई है। जिस पर पीठ ने कहा कि वो यह जानना चाहते हैं कि किस तरह की जांच की गई है। पीठ ने जांच की रिपोर्ट भी मांगी। इसके बाद रोहतगी ने कहा कि मणिपुर राज्य सरकार ने ऐसे मामलों के जांच के लिए एक आयोग का गठन किया था, लेकिन उसे यह करने का अधिकार नहीं था। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट मणिपुर में साल 2000 से 2012 के दौरान सेना और पुलिस द्वारा कथित रुप से किए गए बलात्कार पर डाली गई जनहित याचिका की सुनवाई कर रहा है। याचिका में पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग की गई है। इतना ही नहीं सुनवाई के दौरान पीठ ने सख्त लहजे में कहा कि जिस लड़की ने आत्महत्या की उस पर यह आरोप नहीं है कि वो उग्रवादी थी। वो एक खेत में काम करती थी। दो लोग आए और उसके साथ रेप किया। उसके आत्महत्या करने पर आप कह रहे हैं हम क्या करें? आप चाहते हैं कि सेना के लोग आते हैं और रेप करते हैं?

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