कैसे थमेगा शरणार्थियों का सैलाब

punjabkesari.in Thursday, Jun 23, 2016 - 12:31 PM (IST)

यूरोपीय देशों में जिस प्रकार आने वाली शरणार्थियों की संख्या तेजी से बढ़ रही इस दिशा में आॅस्ट्रेलिया ने सख्ती बरतना शुरू कर दिया है। हाल में उसने सुरक्षा का हवाला देते हुए वियतनाम से आ रहे शरणार्थियों से भरी नाव को वापस भेज दिया है। वैसे भी इन दिनों हजारों की संख्या में शरणार्थी इंडोनेशिया से भी आॅस्ट्रेलिया आ रहे हैं। ऐसे में आॅस्ट्रेलिया को लगा कि सख्ती बरतनी जरूरी हो गई है। लेकिन नाव में सवार सब लोग सुरक्षित स्वदेश लौट जाएंगे इसकी क्या गारंटी है।

शरणार्थियों के प्रति आॅस्ट्रेलिया ने भी नरम रुख अपनाया था। अब उसकी आपत्ति है कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान, सुडान, सोमालिया और सीरिया जैसे देशों के कई नागरिक यहां अपनी पहचान छुपाकर शरणार्थियों के रूप में उसके आ रहे हैं। यही वजह है कि शरणार्थियों की बाढ़ को रोकने के लिए उसने यह कदम उठाया है। जिन देशों से ये शरणार्थी आ रहे हैं इन्हें रोकने के लिए उनकी सरकारों को क्यों नहीं कहा जाता। 

संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी रिफ्यूजी एजेंसी (यूएनएचसीआर) की ताजा रिपोर्ट से एक गंभीर तथ्य सामने आया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में विस्थापितों, शरणार्थियों की संख्या अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा हो गई है। 2015 में ऐसे लोगों की संख्या में 50 लाख की बढ़ोतरी हुई। अब इनकी कुल तादाद 6.5 करोड़ से भी ऊपर हो गई है। तेजी से बढ़ रही शरणार्थियों की संख्या को नियंत्रित कैसे किया जाए, यह विभिन्न सरकारों के लिए चिंता का विषय बन गया है।  

आतंकी संगठनों के लोग शरणार्थियों के रूप मे अन्य में प्रवेश न कर जाएं इससे आशंकित उनकी सरकारों ने कार्रवाई का मन बनाया है। संभव है कि शरणार्थियों को शरण देकर यूरोप के कुछ देशों ने जिस दरियादिली का परिचय दिया है उसका दुरुपयोग होने से इंकार नहीं किया जा सकता। कुछ तथाकथित शरणार्थियों की वहां के नागरिकों से होने वाली झड़पों ने भी सरकारों का ध्यान इस ओर खींचा है। 

शरणार्थियों की संख्या में एकाएक हुई बढ़ोतरी के प्रमुख कारण गिनाए जा सकते हैं संघर्ष, प्राकृतिक आपदा और जलवायु परिवर्तन। साथ ही, इराक और सीरिया में आतंकी संगठन आईएसआईएस के अत्याचारों को भी नहीं कमतर आंका जा सकता है। उसके अत्याचारों से बचने के लिए बड़ी  संख्या में लोगों ने देश को छोड़ना जरूरी समझा। इन लोगों को बसाने के लिए जो कोशिशे हो रही हैं वो नाकाफी हैं। लेकिन जिस हिसाब से शरणार्थियों की संख्या बढ़ती जा रही है उसे रोकना होगा। 

कुछ समय पहने जो लोग युद्ध या उत्पीड़न या फिर भूकंप या सूखे से अपनी जान बचाने के लिए सीमा पार कर दूसरे इलाकों में चले गए, उन्हें तकनीकी रूप से शरणार्थी नहीं माना जाता था। मेजबान देशों ने अब उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रयास शुरू किए हैं। एक समस्या सामने आ रही है कि जहां सहायताकर्मियों को धमकियां दी जाती हैं, उससे उनके काम करने की क्षमता प्रभावित होती है। संयुक्त राष्ट्र एजेंसी इस पर चिंता जता चुकी है। इस समस्या को दूर करने के लिए उन देशों की सरकारों को ठोस व्यवस्था करनी होगी।

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि शरणार्थियों की स्थिति अंतरराष्ट्रीय समस्या बनती जा रही है। इसके समाधान के लिए वैश्विक स्तर पर ही काम किए जाने की जरूरत है। यह सुझाव ठीक है, इसके लिए सदस्य देशों की बैठक बुलाकर विचार विमर्श करने में विलंब नहीं होना चाहिए।

 

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