कहानी आत्मनिर्भरता कीः जरूरतमंद महिलाओं को ट्रेनिंग दी और शुरू कर दी टैक्सी

Saturday, Jan 26, 2019 - 03:58 PM (IST)

नेशनल डेस्क( पीयूष शर्मा ): आज गणतंत्र दिवस है। वह दिन जब हम भारतीयों को हमारा संविधान मिला था। जब हमें हमारे अधिकारों और कत्र्तव्यों से रू-ब-रू करवाया गया था। संविधान को लागू हुए आज 69 वर्ष हो गए हैं। बीते इन वर्षों में हमने तरक्की की बुलंदियों को छुआ है और इसके कई आयाम स्थापित किए हैं, लेकिन आज भी हम पूरी तरह से वैसा भारत नहीं बना पाए हैं जैसा संविधान में तय किया गया था। आज हम आपको कुछ ऐसे लोगों से मिलवाने जा रहे हैं जो ठीक वैसा भारत बनाने में जुटे हैं जैसे भारत की कल्पना गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर और डॉ. भीम राव अंबेडकर ने की थी। हमारा मकसद आपको इन लोगों से सिर्फ रू-ब-रू करवाने का ही नहीं है, बल्कि यह बताने का भी है कि तमाम मुश्किलों के बावजूद इन्होंने अब तक हार नहीं मानी है।

सर्विस मुंबई की सुजीबेन शाह सोशल वर्कर हैं। कई तरह की सरकारी स्कीम्स का फायदा जरूरतमंद महिलाओं तक पहुंचाती हैं। वे महिलाओं से जुड़े और भी कई प्रोजैक्ट से जुड़ी हैं, लेकिन इनका ‘प्रियदर्शनी टैक्सी वुमैन पावर इनीशिएटिव खास है। सूजीबेन से महिलाओं को सक्षम बनाने के इस इनीशिएटिव की शुरुआत को लेकर जब बात हुई तो उन्होंने बताया...

‘मुंबई में मैं जरूरतमंद महिलाओं को पैंशन दिलवाया करती थी और उन्हें उनके अधिकारों से रू-ब-रू करवाती थी। इस दौरान मेरी कई ऐसी महिलाओं से मुलाकात होती थी जो कुछ अलग और हटके काम करना चाहती थीं। मैं भी लंबे समय से महिलाओं को समान अवसर दिलवाने और सक्षम बनाने के लिए कुछ न कुछ शुरू करने के बारे में सोच रही थी। एक दिन मैंने कुछ महिलाओं को इकठ्ठा किया और उनसे पूछा कि आप ड्राइविंग करना चाहोगी। किसी ने कोई जवाब नहीं दिया, सबकी जुबान पर एक ही सवाल था कि ड्राइविंग वो कैसे? मैंने उन महिलाओं को राजी किया और उनकी ट्रेनिंग शुरू कर दी। हमने महिलाओं को 3 महीने तक कार ड्राइविंग की ट्रेङ्क्षनग दिलवाई। साथ ही साथ उनके कम्यूनिकेशन सिक्ल्स को भी इंप्रूव किया। इतना ही नहीं हमने उन्हें सैल्फ डिफैंस भी सिखाया। इसके बाद मैंने 5 गाडिय़ां खरीदीं और उन महिलाओं को मुंबई में चलाने के लिए दे दी। हमारे लिए पहली परेशानी यह थी कि जिन महिलाओं को मैं आर्थिक तौर पर मजबूत बनाने का काम कर रही थी, उनके परिवार वाले राजी नहीं थे। यहां तक कि जब उन महिलाओं ने अपने परिवार से 3 महीने की ट्रेङ्क्षनग के लिए कुछ पैसे मांगे तो उन्होंने मना कर दिया। एक भी परिवार आगे नहीं आया, क्योंकि उनकी यह सोच थी कि महिलाएं हैं घर संभाले कहां टैक्सी चलाती फिरेंगी... लेकिन नहीं मैंने तो सोच रखा था कि जब ये महिलाएं कुछ अलग करने को तैयार हैं तो मैं इनका साथ दूंगी। खैर, 5 गाडिय़ां तो मैंने खरीदी हीं महिलाओं की ट्रेनिंग का जिम्मा भी उठा लिया। इस टैक्सी सर्विस का नाम ‘प्रियदर्शनी टैक्सी वुमैन पावर रखा। 5 के बाद 10 और दस के बाद 20 ऐसे करते-करते मैंने पहली 50 गाडिय़ां खुद की सेविंग्स में से खरीदीं। फिर धीरे-धीरे लोगों को जब भरोसा हुआ तो वे मदद के लिए आगे आए।

मुंबई एयरपोर्ट पर भी प्रियदर्शनी टैक्सी सर्विस को अपना एक स्टॉल लगाने के लिए जगह मिल गई। इस तरह प्रियदर्शनी टैक्सी सर्विस आगे बढ़ी। आज पूरी मुंबई में तकरीबन 100 महिलाएं प्रियदर्शनी के लिए टैक्सी चलाती हैं। सभी खुश हैं, क्योंकि जब से वे अपने पैरों पर खड़ी हुई हैं तब से उनकी समाज में और उनके परिवार में इज्जत बढ़ गई है। खुश इसलिए भी हैं कि उन्हें बराबरी का हक मिला है। मेल ड्राइवर जो शुरुआत में फीमेल ड्राइवर्स को गाड़ी चलाते हुए देखकर हंसा करते थे वे भी अब साथ देते हैं। ये टैक्सी सर्विस महिलाओं की तरफ से महिलाओं के लिए भी है। अक्सर ऐसी खबरें आती रहती हैं कि एक ऑटो ड्राइवर ने अपनी कस्टमर का रेप किया या फिर एक टैक्सी ड्राइवर ने महिला को सुनसान जगह ले जाकर लूटपाट की। अगर टैक्सी ड्राइवर महिला होगी तो सफर करने वाली महिला भी सुरक्षित महसूस करेगी। वैसे भी मेरा मानना है कि जितनी ज्यादा महिलाएं सड़क पर होंगी उतना माहौल सुरक्षित होगा। यही सोचकर मैं 31 मार्च से दिल्ली में भी 25 गाडिय़ों के साथ ‘प्रियदर्शनी टैक्सी सर्विस’ शुरू कर रही हूं।’ सूजीबेन शाह (फाऊंडर प्रियदर्शनी टैक्सी सर्विस) कमाल का काम कर रही हैं। वे महिलाओं को सक्षम बनाने के साथ-साथ समाज में सिर उठाकर चलना भी सिखा रही हैं। उनका सपना है कि वे पूरे भारत में ‘प्रियदर्शनी टैक्सी सर्विस’ लॉन्च करें। कहती हैं, ‘एक दिन यह सपना जरूर पूरा होगा।’ बता दें, देश में ‘शी कैब’ और ‘सखा कैब फॉर वुमैन’ जैसी टैक्सी सर्विस भी मौजूद हैं। पंजाब केसरी ग्रुप सूजीबेन के साथ-साथ सभी को सलाम करता है।

Isha

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