आस्था : नर्मदा में स्नान के बाद यहां फेरा लगाने आते हैं हनुमान

Tuesday, May 15, 2018 - 02:22 PM (IST)

जबलपुर: भारत एक ऐसा देश है जहां आस्था और अंधविश्वास से जुड़े कई किस्से हैं। यहां आस्तिक, नास्तिक और अंधविश्वासी हर तरह के लोग रहते हैं। देश में ऐसी कई किवदंतियां हैं जिनको सुलझाने की कोशिश में इंसान खुद उलझ जाता है।


इसी तरह की किवदंतियों में एक किस्सा जबलपुर में देखने को मिला। जहां आस्था है कि हनुमान जी आज भी हैं और स्नान करने के बाद मंदिर आते हैं। रामायण में एक प्रसंग है कि ‘कलयुग में हनुमान जी ही भक्तों के दुख दूर करेंगे और न्याय के देवता शनि देव न्याय प्रदान करेंगे।’ 


रामचरित मानस के लंका कांड में वाक्य है कि ‘जब सीता माता की खोज करने हनुमान जी लंका गए थे, तब उन्होंने रावण द्वारा बंधक बनाए गए शनिदेव को भी मुक्त कराया था। इसके बाद शनि देव ने उन्हें वचन दिया कि जो कोई हनुमान जी की पूजा वंदना करेगा, वे उसे अपने प्रकोप या दोष से मुक्त कर देंगे।’


हनुमान गढ़ी में मिला जीवंत प्रमाण
रामचरित मानस में जिक्र किए वाक्य का जीवंत प्रमाण नर्मदा तट ग्वारीघाट स्थित हनुमानगढ़ी में विराजमान हनुमान की प्रतिमा है। जहां हनुमान जी अपने पैरों के नीचे शनिदेव को दबाए हुए हैं। इतिहासकारों की मानें तो यह प्रतिमा करीब 600 साल पुरानी है। इस मंदिर के बारे में यह भी माना जाता है कि यह किसी ज्योतिष से कम नहीं है, केवल यहां आने मात्र से लोगों के दोष समाप्त हो जाते हैं और उनकी कुंडली में ग्रहों का अनुकूल प्रभाव होने लगता है।

प्रतिमा में नजर आते हैं हनुमान जी के भीगे बाल
यूं तो हनुमान जी के अनेक मंदिर हैं, लेकिन जबलपुर खारीघाट पर स्थित प्रतिमा खास पहचान से प्रतिष्ठित है। इस प्रतिमा में हनुमान जी के भीगे हुए बाल दिखाई पड़ते हैं। प्रतिमा में बजरंग बली ने शनि देव को पैरों के नीचे दबा रखा है।

स्नान कर मंदिर में हर रोज आते हैं पवनपुत्र
मंदिर समिति के सदस्य ओंकार दुबे के अनुसार ऐसी मान्यता है कि वीर हनुमान मंदिर स्थल पर फेरा लगाने आते हैं और खारीघाट पर पीपल के पेड़ के नीचे आकर खड़े होते हैं। खारीघाट में हनुमान जी की प्रतिमा पर बालों के रोएं अब भी ऐसे दिखते हैं मानों वे नर्मदा में नहाकर निकले हों। संयुक्त रूप से कह सकते हैं कि यहां के लोगों में आस्था है कि हनुमान जी आज भी धरती पर हैं। खैर, ये लोगों की आस्था हो या अंधविश्वास, लेकिन प्रतिमा की जीवंतता लोगों को इस पर विश्वास करने के लिए मजबूर कर देती है।

Niyati Bhandari

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