संसद में गिलोय, अश्वगंधा और आयुर्वेद पर चर्चा, जानिए क्या है वजह
Wednesday, Sep 16, 2020 - 01:17 PM (IST)
नेशनल डेस्कः गुजरात के जामनगर स्थित आयुर्वेद संस्थान को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा दिए जाने को लेकर उठाए जा रहे सवालों पर स्थिति स्पष्ट करते हुए सरकार ने मंगलवार को कहा कि इस मामले में पूरी निष्पक्षता बरती गई है और यह संस्थान सबसे पुराना है तथा इसके सभी कसौटियों पर खरा उतरने के बाद इसे चुना गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा हर्षवर्धन ने राज्यसभा में आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान विधेयक 2020 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए इस मुद्दे पर सदस्यों की आशंकाओं का समाधान किया।
हर्षवर्धन ने कहा कि केंद्र सरकार सभी आयुर्वेद संस्थानों को आगे बढ़ाने तथा देश में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उनके जवाब के बाद सदन ने विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया। जिससे इस पर संसद की मुहर लग गई। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है। विधेयक में तीन आयुर्वेद संस्थानों को मिलाकर एक संस्थान बनाने तथा इसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देने का प्रावधान है।
देशभर में 103 संस्थान
हर्षवर्धन ने कहा कि देशभर में राष्ट्रीय महत्व के 103 संस्थान हैं और आयुर्वेद के क्षेत्र में अब तक ऐसा कोई संस्थान नहीं था। यह देश का सबसे प्राचीन संस्थान है और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इसके महत्व को माना है। हाल ही में 65 देशों के छात्र इस संस्थान का दौरा करने आए थे। उन्होंने कहा कि यह संस्थान सभी मानकों और कसौटियों पर खरा उतरा है और इसके चयन में किसी तरह का पक्षपात नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि यह सही है कि देश में आयुर्वेद के कई अच्छे संस्थान हैं और सरकार इन सबको भी आगे बढ़ाने के कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि यह शुरुआत है और भविष्य में अन्य संस्थानों को भी राष्ट्रीय महत्व का दर्जा दिया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार शुरू से ही सभी भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रही है और राष्ट्रीय आयुष मिशन तथा आयुष मंत्रालय इसका प्रमाण है। इस संस्थान में गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय का स्नातकोत्तर आयुर्वेद शिक्षण एवं शोध संस्थान, श्री गुलाब कुंवरबा आयुर्वेद महाविद्यालय और इंडियन फार्मास्यूटिकल साइंसेज इंस्टीट्यूट का विलय किया गया है। यह संस्थान गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय के परिसर में स्थापित है।