Same Sex Marriage: ''राज्यों को भी बनाया जाए पक्षकार'', केंद्र का सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा

Wednesday, Apr 19, 2023 - 12:06 PM (IST)

नेशनल डेस्क: समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को भी सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दायर किया गया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई में पक्षकार बनाया जाए।

 

केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि उसने 18 अप्रैल को राज्यों को पत्र भेजकर समलैंगिक शादियों को मान्यता देने के अनुरोध वाली याचिकाओं में उठाए गए मौलिक मुद्दे पर उनसे टिप्पणियां मांगी हैं। केंद्र ने कहा यह मुद्दा राज्यों के विधायी क्षेत्र के भीतर आता है लिहाज़ा पहले सुना जाना चाहिए। इस मामले की सुनवाई सीजेआई डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस एसके कौल, एसआर भट, हिमा कोहली और पीआर नरसिम्हा की पीठ कर रही है।

 

मंगलवार को क्या बोला सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को साफ कर दिया कि समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं पर फैसला करते समय वह शादियों से जुड़े ‘पर्सनल लॉ' पर विचार नहीं करेगा और कहा कि एक पुरुष और एक महिला की धारणा, जैसा कि विशेष विवाह अधिनियम में संदर्भित है, वह “लिंग के आधार पर पूर्ण नहीं है। संवेदनशील मुद्दे पर दिन की कार्यवाही केंद्र की पुरजोर दलील के साथ शुरू हुई कि उसकी “प्रारंभिक आपत्ति” सुनी जाए और पहले फैसला किया जाए कि अदालत उस सवाल पर विचार नहीं कर सकती, जो अनिवार्य रूप से ‘संसद के अधिकार क्षेत्र' में है।

 

इस दलील से नाराज चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा, “हम प्रभारी हैं” और प्रारंभिक आपत्ति की प्रकृति और विचारणीयता इस पर निर्भर करेगी कि याचिकाकर्ताओं द्वारा क्या पेश किया जाता है। CJI ने सरकार के विधि अधिकारी से कहा, “हम पर व्यापक दृष्टिकोण रखने के लिए भरोसा कीजिए।” मेहता ने कहा कि भरोसे की कमी का कोई सवाल ही नहीं है। जब पीठ ने कहा कि उसका यह समझने का इरादा है कि याचिकाकर्ताओं का पक्ष क्या तर्क देना चाहता है, तो मेहता ने इस पर विचार करने के लिए समय मांगा कि सरकार किस हद तक इसमें भाग लेना चाहेगी।
 

Seema Sharma

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