SC/ST को कैटेगरी के आधार पर भी आरक्षण दे सकते हैं राज्य: सुप्रीम कोर्ट

Thursday, Aug 27, 2020 - 01:51 PM (IST)

नेशनल डेस्कः सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि उसके 2004 के फैसले पर फिर से विचार किए जाने की जरूरत है जिसमें कहा गया था कि शैक्षणिक संस्थानों में नौकरियों और प्रवेश में आरक्षण देने के लिए राज्यों के पास अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों (SC/ST) का उपवर्गीकरण करने की शक्ति नहीं है। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि ई वी चिन्नैया मामले में संविधान पीठ के 2004 के फैसले पर फिर से गौर किए जाने की जरूरत है और इसलिए इस मामले को उचित निर्देश के लिए चीफ जस्टिस के समक्ष रखा जाना चाहिए। पीठ में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी, न्यायमूर्ति विनीत सरन, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस भी शामिल थे।

 

पीठ ने कहा कि उसकी नजर में 2004 का फैसला सही से नहीं लिया गया और राज्य किसी खास जाति को तरजीह देने के लिए SC/ST के भीतर जातियों को उपवर्गीकृत करने के लिए कानून बना सकते हैं। पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ पंजाब सरकार द्वारा दायर इस मामले को चीफ जस्टिस एस ए बोबडे के पास भेज दिया ताकि पुराने फैसले पर फिर से विचार करने के लिए वृहद पीठ का गठन किया जा सके। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने आरक्षण देने के लिए SC/ST को उपवर्गीकृत करने की सरकार को शक्ति देने वाले राज्य के एक कानून को निरस्त कर दिया था। हाईकोर्ट ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के 2004 के फैसले का हवाला दिया और कहा कि पंजाब सरकार के पास SC/ST को उपवर्गीकृत करने की शक्ति नहीं है।

Seema Sharma

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