कंप्यूटरों की निगरानी पर जेतली की सफाई, कहा- UPA शासन में लागू हुआ यह नियम

Friday, Dec 21, 2018 - 07:16 PM (IST)

नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार ने 10 केंद्रीय एजेंसियों को किसी भी कंप्यूटर सिस्टम में रखे गए सभी डेटा की निगरानी करने और उन्हें देखने के अधिकार दे दिए हैं। विपक्षी पार्टियों की ओर से इस आदेश का विरोध करने पर सरकार ने सफाई पेश करते हुए कहा कि ‘‘इन शक्तियों के अनधिकृत इस्तेमाल’’ पर रोक लगाने के मकसद से यह कदम उठाया गया। 


विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को राज्यसभा में आक्रामक ढंग से उठाया। जिसके जवाब में वित्त मंत्री अरुण जेतली ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि इस आदेश में कुछ भी नया नहीं है और कांग्रेस इसे राई के बिना ही पहाड़ बना रही है। उन्होंने कांग्रेस पर देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने का भी आरोप लगाया। 



वित्त मंत्री ने कहा कि बेहतर होता विपक्ष जानकारी लेकर मुद्दा उठाता। हर टेलीफोन, हर कंप्यूटर की बात नही है। उन्हीं मामलों में यह नियम लागू होगा जिनका संबंध राष्ट्रीय सुरक्षा से होगा। उन्होंने कहा कि कौन सी एजेंसियां इटरसेप्ट करेंगी इसका नियम 2009 में यूपीए ने बनाया था। वही आर्डर अभी रिपीट हुआ है। जेटली ने कहा कि आज से करीब 100-150 साल पहले एक कानून बना था, टेलिग्राफ अधिनियम। यह कानून पिछली कई सरकारों के कार्यकाल में चलता रहा। जहां जहां राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले आते हैं इस कानून के तहत कुछ एजेंसियों को निगरानी रखने का अधिकार रहा है। 


गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के साइबर एवं सूचना सुरक्षा प्रभाग द्वारा वीरवार देर रात गृह सचिव राजीव गाबा के जरिए यह आदेश जारी किया गया। मंत्रालय के अनुसार कंप्यूटर की किसी सामग्री को देखने या उसकी निगरानी करने के हर मामले में सक्षम अधिकारी, जो केंद्रीय गृह सचिव हैं, की मंजूरी लेनी होगी। बयान के मुताबिक मौजूदा अधिसूचना टेलीग्राफ कानून के तहत जारी अधिकृति जैसी ही है। गृह मंत्रालय ने किसी कानून प्रवर्तन एजेंसी या सुरक्षा एजेंसी को अपने अधिकार नहीं दिए हैं। 

vasudha

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