7वें संशोधन से बनाए गए राज्य

Saturday, Jan 27, 2018 - 01:55 PM (IST)

नेशनल डेस्क: देश का जो नक्शा आज आप देख रहे हैं भारत का यह मौजूदा स्वरूप संविधान के 7वें संशोधन की देन है। यह संशोधन 1956 में किया गया। फैजल अली के नेतृत्व वाले राज्य री-आर्गेनाइजेशन कमीशन ने भाषा के आधार पर प्रदेशों के गठन का रास्ता साफ किया।

इस कमीशन की सिफारिश से पहले ही भाषा के आधार पर पहला राज्य आंध्र प्रदेश अस्तित्व में आ गया था, हालांकि इससे पहले धार कमीशन व जे.वी.पी. कमेटी भाषा के आधार पर राज्यों का बंटवारा किए जाने के पक्ष में नहीं थी परंतु आंध्र प्रदेश के माडल को देखते हुए फैजल अली कमीशन ने भाषा के आधार पर प्रदेशों के गठन की सिफारिश की तथा इस सिफारिश के आधार पर संविधान में संशोधन किया गया तथा अनुच्छेद 1, 3, 80, 81, 82, 131, 153, 158, 168, 170, 171, 216, 217, 220, 222, 224, 230, 231 व 232 संशोधित किए गए ताकि राज्यों के गठन में इन अनुच्छेदों के तहत आने वाली रुकावटों को दूर किया जा सके।

इससे पहले 4 हिस्सों में बंटा था शासन
अंग्रेजों से आजाद होने के बाद देश का राज्य क्षेत्र 4 हिस्सों में बंटा हुआ था। पहले हिस्से में वे प्रदेश थे जिन पर अंग्रेजों का सीधा शासन था। इन प्रदेशों में असम, बिहार, मुम्बई, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, मद्रास, यूनाइटेड प्रोविंस, पश्चिमी बंगाल व पंजाब शामिल थे। इनके अलावा देश का एक ऐसा हिस्सा था जहां रियासतों का शासन था।

इनमें हैदराबाद, जम्मू-कश्मीर, मध्य भारत, मैसूर, पटियाला व ईस्ट पंजाब (पैप्सू), राजस्थान, सौराष्ट्र, त्रावणकोर-कोच्चि व विंध्य प्रदेश शामिल थे। तीसरे भाग में वे प्रदेश आते थे जो चीफ कमिश्नर के अधीन थे जैसे अजमेर, भोपाल, बिलासपुर, कूच-विहार, कुर्ग, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, कच्छ, मणिपुर व त्रिपुरा जबकि चौथे हिस्से में अंडेमान व निकोबार को रखा गया था जिसको सीधे तौर पर अंग्रेजों द्वारा केंद्र से संचालित किया जाता था।

क्या आया बदलाव?
संविधान का 7वां संशोधन 1 नवम्बर, 1956 को लागू हुआ तथा देश में इसके तहत 14 प्रदेशों व 6 केंद्र शासित प्रदेशों का गठन किया गया। इसके तहत आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, मुम्बई, जम्मू-कश्मीर, केरल, मध्य प्रदेश, मद्रास, मैसूर, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल को प्रदेशों का दर्जा दिया गया तथा अंडेमान-निकोबार, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, लयदीव (आज का लक्षद्वीप), मणिपुर व त्रिपुरा को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया।

राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते देश के लोकतंत्र में वोट डालने पर आपके आज के अधिकार का दायरा 1988 में लाए गए 61वें संशोधन में बढ़ाया गया है। इससे पहले देश में वोट डालने का अधिकार हासिल करने की उम्र 21 साल थी। संविधान के अनुच्छेद 326 में संशोधन करके 18 साल से ऊपर के हर नागरिक को वोट के अधिकार द्वारा राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया से जोड़ा गया।

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