श्रीनगर लोकसभा सीट : क्या फिर अपना गढ़ बचा पाएगी नेशनल कॉन्फ्रेंस

punjabkesari.in Wednesday, Jan 30, 2019 - 04:30 PM (IST)

श्रीनगर  : श्रीनगर लोकसभा सीट, जम्मू और कश्मीर की महत्वपूर्ण सीटों में से एक है, डल झील वाली श्रीनगर लोकसभा सीट नेशनल कॉन्फ्रेंस का गढ़ है। इस सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस 10 लोकसभा चुनाव जीत चुकी है। सूबे की ग्रीष्मकालीन राजधानी की इस लोकसभा सीट से फारूक अब्दुल्ला सांसद हैं। 2014 के आम चुनाव में फारूक अब्दुल्ला को पीडीपी के तारिक हमीद कर्रा ने हराया था। 2017 में हुए उपचुनाव में फारूक अब्दुल्ला करीब 10 हजार वोटों से जीते थे। यहां से उनकी मां बेगम अकबर जहां अब्दुल्ला और बेटे उमर अब्दुल्ला भी सांसद रह चुके हैं। इस लोकसभा सीट में 15 विधानसभा सीट और 12$ 61 लाख मतदाता हैं। 2017 उपचुनाव में 7 फीसदी और 2014 आम चुनाव में 26 फीसदी मतदान हुआ था। उपचुनाव के दौरान यहां खूब हिंसा हुई थी और 8 लोग मारे गए थे।

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श्रीनगर की लोकसभा सीट से 1967 में नेशनल कॉन्फ्रेंस के बख्शी गुलाम मोहम्मद जीते थे। 1971 में इस सीट से निर्दलीय प्रत्याशी एस.ए. शमीम ने जीत दर्ज की। इस हार के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जबरदस्त वापसी की और लगातार चार लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की। 1977 में इस सीट से बेगम अकबर जहां अब्दुल्ला सांसद बनीं, इसके बाद 1980 में उनके बेटे फारूक अब्दुल्ला ने इस सीट से जीत दर्ज की, 1984 और 1989 में भी यह सीट नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास ही रही और क्रमश: अब्दुल राशिक काबुली और मोहम्मद सफी भट सांसद बने। 1996 में यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई और गुलाम मोहम्मद मीर मागामी जीते,1998, 1999 और 2004 में यह सीट फिर से नेशनल कान्फ्रेंस के पास आ गई और तीनों बार उमर अब्दुल्ला सांसद बनेण् इसके बाद 2009 में इस सीट से फारूक अब्दुल्ला उतरे और जीते, लेकिन 2014 का चुनाव वह हार गए। उन्हें पीडीपी के तारिक हामीद कर्रा ने हराया। इसके बाद 2017 में हुए उपचुनाव में एक बार फिर फारूक अब्दुल्ला इस सीट से सांसद बने।

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श्रीनगर लोकसभा सीट के अन्तर्गत 15 विधानसभा सीटें (कंगन, गन्दरबल, हजरतबल, जडीबल, ईदगाह, खानयार, हबाकदल, अमिरकादल, सोनवार, बटमालू, चाडुरा, बडगाम, बीरवाह, खानसाहिब और चरार-ए-शरीफ) आती हैं। 2014 के विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा सीट की इन 15 सीटों पर नेशनल कान्फ्रेंस और पीडीपी के बीच कड़ी टक्कर हुई थी। नेशनल कान्फ्रेंस के पास 7 (कंगन, गन्दरबल, ईदगाह, खानयार, हबाकदल, बडगाम, बीरवाह, और पीडीपी के पास 8 (हजरतबल, जडीबल, अमिरकादल, सोनवार, बटमालू, चाडुरा, खानसाहिब, चरार-ए-शरीफ) सीटें हैं। इस सीट पर 12 लाख 05 हजार रजिस्टर्ड मतदाता हैं। इसमें 6 लाख 30 हजार पुरुष और 5 लाख 74 हजार महिला वोटर हैं।

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2017 के उपचुनाव में नेशनल कान्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला 10ए776 वोटों से जीते थे। उन्हें 48, 555 वोट मिला था, जबकि उनके प्रतिद्वंदि पीडीपी के नाजिर अहमद खान को 37, 779 वोट मिले थे, तीसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी फारूक अहमद दार (630 वोट) रहे थे। इससे पहले 2014 के आम चुनाव में पीडीपी के तारिक हामिद कर्रा ने फारूक अब्दुल्ला को 42, 281 से मात दी थी,कर्रा को 1ए57,923 वोट मिले थे। वहीं, फारूक को 1ए15ए643 वोट मिला था। तीसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी आगा सैयद मोहसिन (16, 050 वोट) थे। खास बात है कि इस सीट पर बीजेपी की जमानत जब्त हो गई थी। उसके प्रत्याशी फयाज अहमद भट को सिर्फ 4, 467 वोट मिले थे।

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आतंकी बुरहान वानी की मौत के श्रीनगर समेत पूरा प्रदेश हिंसा की चपेट में था, इस हिंसा के दौरान घाटी के लोगों पर हुए कथित अत्याचार के खिलाफ पीडीपी के तारिक हामिद कर्रा ने 2016 में इस्तीफा दे दिया। इसके बाद 2017 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ। उपचुनाव के दौरान भी खूब हिंसा हुई और करीब 8 लोग मारे गए। हिंसा के कारण श्रीनगर लोकसभा सीट पर सबसे कम करीब 7 फीसदी मतदान हुआ, इससे पहले 1999 के आम चुनाव में श्रीनगर में सबसे कम 11.93 फीसदी मतदान हुआ था। इस चुनाव में उमर अब्दुल्ला ने महबूबा मुफ्ती को हराया था। 2014 के आम चुनाव में यहां 26 फीसदी मतदान हुआ था।

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फारूक नेशनल कान्फ्रेंस के चेयरमैन हैं और अपने पिता शेख अब्दुल्ला की तरह तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पहली बार वह 1982 से 1984 तकए दूसरी बार 1986 से 1990 और तीसरी बार 1996 से 2002 तक मुख्यमंत्री रहे। फारूक अब्दुल्ला 2009 और 2014 के बीच मनमोहन सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। तीन बार श्रीनगर सीट से सांसद रहे उमर ने  वह जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के पिता हैं।
 


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Monika Jamwal

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