चीन प्रेम में श्रीलंका हुआ कंगाल ! प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने दिवालिया होने का किया ऐलान

Tuesday, Jul 05, 2022 - 04:54 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः आर्थिक संकट में फंसे श्रीलंका की कंगाली के लिए चीन को जिम्मेदार माना जा रहा है।  बेकाबू हालात के बीच श्रीलंका सरकार ने ना सिर्फ माना है, कि देश दिवालिया हो गया है, बल्कि श्रीलंका सरकार की तरफ से ये भी कहा गया है, कि अगल साल के अंत तक देश आर्थिक संकट से पूरी तरह से बदहाल रहेगा। श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने मंगलवार को देश की संसद को बताया है, कि श्रीलंका दिवालिया हो गया है।

 
महत्वपूर्ण वस्तुओं के आयात के लिए सरकार की विदेशी मुद्रा समाप्त होने के बाद द्वीप राष्ट्र श्रीलंका के 2 करोड़ 20 लाख लोगों ने महीनों तक सरपट दौड़ती महंगाई और लंबी बिजली कटौती का सामना किया है। प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने कहा कि, एक वक्त आर्थिक तौर पर समृद्ध रहा श्रीलंका में इस साल के अंत तक स्थिति और खराब हो जाएगी और देश में भोजन, ईंधन और दवा की भारी कमी जारी रहेगी। श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने कहा कि, "हमें 2023 में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा और यही सच्चाई है।" उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ श्रीलंका की चल रही बेलआउट वार्ता अगस्त तक लेनदारों के साथ एक ऋण पुनर्गठन योजना को अंतिम रूप देने पर निर्भर करती है। विक्रमसिंघे ने कहा, "अब हम एक दिवालिया देश के रूप में आईएमएफ के साथ बातचीत में भाग ले रहे हैं।"

 

श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि, "दिवालियापन की स्थिति की वजह हमारा देश है, हमें अपनी ऋण स्थिरता पर एक योजना अलग से प्रस्तुत करनी होगी। केवल जब (आईएमएफ) उस योजना से संतुष्ट हो जाए तो हम एक समझौते पर पहुंच सकते हैं।"  संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि, लगभग 80 प्रतिशत जनता भोजन की कमी और रिकॉर्ड कीमतों से निपटने के लिए कम खाना खा रही है या एक ना एक वक्त का खाना छोड़ रही है। बता दें कि, 2 महीने पहले ही श्रीलंका ने पहले ही घोषणा कर रखी है, कि वह इस साल पुनर्भुगतान के लिए देय 7 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज के पुनर्भुगतान को सस्पेंड कर रहा है। श्रीलंका को हर साल 2026 तक औसतन सालाना 5 अरब डॉलर का भुगतान करना होगा। विदेशी मुद्रा संकट के कारण भारी कमी हो गई है जिससे लोगों को ईंधन, खाना पकाने और दवा सहित आवश्यक सामान खरीदने के लिए लंबी लाइनों में खड़ा होना पड़ा है।

 

वहीं, मई महीने में श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने कहा था कि, उनका देश आर्थिक संकट टालने के लिए कर्ज नहीं चुका रहा है।  बता दें कि, किसी भी देश को दिवालिया तब घोषित किया जाता है जब वहां की सरकार दूसरे देशों या अंतरराष्ट्रीय संगठनों से लिया गया उधार या उसकी किस्त समय पर नहीं चुका पाती। ऐसी स्थिति में देश की प्रतिष्ठा, मुद्रा और उसकी अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचता है और श्रीलंका के साथ भी यही हुआ है।मई महीने में श्रीलंकन वित्त मंत्रालय ने कहा था कि, श्रीलंका के पास प्रयोग करने योग्य विदेशी भंडार केवल 2.5 करोड़ डॉलर है और इतने पैसे से वो ना तो तेल का आयात कर सकता है और ना ही अरबों का कर्ज ही चुका सकता है।

 

इस बीच श्रीलंकाई रुपया मूल्य में लगभग 80% कमजोर हो चुका है और इस वक्त एक डॉलर के मुकाबले श्रीलंकन करेंसी का वैल्यू 360 को पार कर चुका है। लिहाजा, श्रीलंका के लिए सामान खरीदना और भी ज्यादा महंगा हो चुका है। श्रीलंका को साल 2026 तक 25 अरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज चुकाना है और इस साल श्रीलंका को 7 अरब डॉलर के कर्ज का भुगतान करना है, जिसे चुकाने से श्रीलंका ने इनकार कर दिया है। श्रीलंका पर सबसे लंबे वक्त तक राज करने वाले राजपक्षे परिवार के शासनकाल में श्रीलंका लगातार चीन की गोद में खेलता गया और अंत में चीन को करीब 5 अरब अमेरिकी डॉलर चुकाने में नाकाम रहने के बाद श्रीलंका की आर्थिक स्थिति बर्बादी के कगार पर पहुंच गई।  

Tanuja

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