सपा-बसपा गठजोड़ यू.पी. में भाजपा के लिए विकराल चुनौती
Monday, Apr 30, 2018 - 01:41 AM (IST)
नेशनल डेस्कः यू.पी. में सपा और बसपा के बीच गठबंधन बनने से 2019 के चुनाव में भाजपा को बहुत विकराल चुनौती दरपेश है। ऐसे में राजनीतिक पर्यवेक्षक बहुत मुस्तैदी से यह नजर रखे हुए हैं कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह कौन-सा कदम उठाने वाले हैं। ऐसी अटकलें लग रही हैं कि भाजपा अपने यू.पी. प्रदेशाध्यक्ष महेन्द्र नाथ पांडे को बदल कर किसी ओ.बी.सी. नेता को प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त करेगी। यह भी सुनने में आ रहा है कि भाजपा 17 सबसे अधिक पिछड़ी जातियों (एम.बी.सी.) जैसे कि राजभर, निशाद, मल्लाह और कुम्हारों को अनुसूचित जाति की कैटेगरी में शामिल करेगी और ओ.बी.सी. में से उनका नाम निकाल देगी।
2014 में भाजपा ने ऐसा करने का वायदा किया था। पार्टी अब ओ.बी.सी. और एस.सी. के लिए उप-कोटा आरक्षण की घोषणा करने पर ङ्क्षचतन मनन कर रही है। इसका तात्पर्य यह होगा कि हाल ही के वर्षों में भाजपा के पक्ष में भारी मतदान करने वाली एम.बी.सी. जातियां अब यह पाएंगी कि ओ.बी.सी. कैटेगरी में अधिकतर आरक्षित नौकरियां यादवों द्वारा हड़प कर ली जाएंगी जोकि सपा की रीढ़ की हड्डी हैं। इसी प्रकार मायावती के वोट बैंक को वाल्मीकि, कोरी, पासी एवं धोबी जैसी बहुत पिछड़ी अनुसूचित जातियों के लिए जगह बनानी पड़ेगी।
ममता बनर्जी को गुस्सा क्यों आता है
भाजपा के बाद अब कांग्रेस भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निशाने पर है क्योंकि इसके कार्यकत्र्ताओं ने पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में हुई हिंसा के विरुद्ध धरने प्रदर्शन किए थे। ममता बनर्जी का कहना है कि यदि तृणमूल कांग्रेस ने विपक्षी पाॢटयों को कागज दाखिल करवाने से रोका था तो उन्होंने 50,000 नामांकनपत्र कैसे दायर कर लिए?
इस मुद्दे पर ममता बनर्जी कांग्रेस पर इतनी खफा हैं कि उनकी पार्टी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के विरुद्ध कांग्रेस द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए महाभियोग प्रस्ताव को समर्थन देने और इस पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने मीडिया को भी बताया कि वह न्यायिक मामलों में हस्तक्षेप करने के पक्ष में नहीं हैं। ममता ने यह भी कहा कि उन्होंने सोनिया गांधी और राहुल गांधी को भी ऐसा महाभियोग प्रस्ताव पेश न करने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा कि एक ओर तो कांग्रेस संसद में हमारी पार्टी से सहायता चाहती है जबकि दूसरी ओर ये लोग पश्चिम बंगाल में तृणमूल कार्यकत्र्ताओं के साथ लड़ रहे हैं।
मध्य प्रदेश कांग्रेस में आम सहमति
मध्य प्रदेश कांग्रेस में यह आम सहमति पैदा हो गई लगती है कि प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर ज्योतिरादित्य सिंधिया ही मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे श्रेष्ठ उम्मीदवार हैं। यहां तक कि कमलनाथ भी यह स्वीकार करते लगते हैं कि पुरानी पीढ़ी को नए खून के लिए जगह छोडऩी होगी। लेकिन नर्मदा यात्रा से लौटे दिग्विजय सिंह ने सभी गणनाएं अस्त-व्यस्त कर दी हैं। बेशक दिग्विजय ने यह दावा किया है कि उनकी यह कवायद पूरी तरह आध्यात्मिक थी तो भी भोपाल से लौटते ही उन्होंने सक्रिय राजनीति में छलांग लगा दी। सिंधिया का रास्ता काटने के लिए उन्होंने कमलनाथ के साथ हाथ मिला लिया। अब कमलनाथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बन गए हैं तो इससे यह सवाल पैदा हो गया है कि मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार कौन होगा?
हरियाणा कांग्रेस में बदलाव शीघ्र
हरियाणा कांग्रेस में राजनीति काफी गर्माई हुई है क्योंकि पार्टी की अंतर्कलह भी चरम पर है। कांग्रेस हाईकमान अशोक तंवर और भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की कार्यशैली से प्रसन्न नहीं। हरियाणा के कुछ राजनीतिक सूत्रों के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी शीघ्र ही हरियाणा प्रदेशाध्यक्ष का बदलाव करेंगे। क्योंकि हरियाणा के प्रभारी महासचिव कमलनाथ को मध्य प्रदेश में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के रूप में भेज दिया गया है इसलिए हरियाणा प्रदेशाध्यक्ष का बदलाव करने में कुछ समय लगेगा। इस पद के लिए शैलजा कुमारी और कुलदीप बिश्नोई सबसे प्रबल दावेदार हैं। - राहिल नोरा चोपड़ा