''उस शख्स ने मुझे गलत तरीके से...'' इस सुपरस्टार की बेटी के साथ हुई घिनौनी हरकत, न चीखी न लड़ी बस चुपचाप...
punjabkesari.in Sunday, Nov 16, 2025 - 04:20 PM (IST)
नेशनल डेस्क। साउथ की मशहूर एक्ट्रेस और सुपरस्टार मोहन बाबू की बेटी लक्ष्मी मांचू ने 15 साल की उम्र में अपने साथ हुई एक दर्दनाक घटना को याद किया है। उन्होंने बताया कि जब वह दसवीं क्लास में थीं तब उन्हें पहली बार सार्वजनिक रूप से गलत तरह से छूने जैसी घिनौनी हरकत का सामना करना पड़ा था। एक्ट्रेस ने यह खुलासा किया कि वह आज तक उस ट्रॉमा से बाहर नहीं निकल पाई हैं।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट में हुआ था घिनौना वाकया
हाउटरफ्लाई को दिए एक इंटरव्यू में लक्ष्मी मांचू ने अपनी निजी जिंदगी के इस मुश्किल अनुभव को साझा किया। उन्होंने बताया कि मोहन बाबू की बेटी होने के नाते उन्हें कभी किसी चीज की कमी नहीं हुई। वह अक्सर ड्राइवर, बॉडीगार्ड या अपनी मां के साथ ही स्कूल जाया करती थीं जिससे वह हमेशा एक सुरक्षित घेरे में रहीं। यह घटना तब हुई जब वह 10वीं क्लास में थीं और उन्हें स्कूल का हॉल टिकट लेने के लिए पहली बार पब्लिक ट्रांसपोर्ट (सार्वजनिक परिवहन) से भेजा गया। इसी दौरान एक अनजान शख्स ने उन्हें गलत तरीके से छुआ। लक्ष्मी मांचू ने कहा, "वो एक घिनौना एहसास था जो 15 साल की उम्र में झेलना किसी ट्रॉमा से कम नहीं था।"
दोस्तों ने कहा- 'ये सबके साथ होता है'
उस समय सिर्फ 15 साल की लक्ष्मी मांचू इस हरकत से सदमे में थीं। उन्होंने बताया कि वह डर के मारे कुछ नहीं बोलीं और उस शख्स से दूर चली गईं उन्होंने किसी से झगड़ा भी नहीं किया। जब उन्होंने यह बात अपनी सहेलियों के साथ साझा की तो उन्हें और भी झटका लगा। उनकी सहेलियों ने उन्हें समझाया कि वह एक खास परिवार से आती हैं इसलिए उन्हें लग रहा है कि उनके साथ ऐसा नहीं होना चाहिए जबकि "ये सबके साथ होता है।"
मीटू के दौरान रोते-रोते गिर पड़ी थीं
लक्ष्मी मांचू ने कहा कि आज भी ऐसी घटनाएं आम हैं। उन्होंने दावा किया कि अगर कोई लड़की आज भी सार्वजनिक बसों या परिवहन में सफर करती है तो उसे कभी न कभी ऐसी घटना का सामना करना पड़ा होगा। अगर कोई कहता है कि उसके साथ ऐसा नहीं हुआ तो वह झूठ बोल रही है। एक्ट्रेस ने भावुक होते हुए बताया कि मीटू (MeToo) आंदोलन के दौरान वह रोते-रोते गिर पड़ी थीं क्योंकि महिला आयोग के पर्चे में लिखी गई हर बात उनके साथ घटित हो चुकी थी।
बड़े खानदान का होना भी एक दिक्कत
लक्ष्मी मांचू ने यह भी बताया कि बड़े परिवारों से आने वाले लोगों के साथ अक्सर यह दिक्कत होती है कि वे अपने साथ हुए दुर्व्यवहार को खुलकर व्यक्त नहीं कर पाते। उन्होंने कहा कि उन्हें बचपन से ही सिखाया गया था कि अपनी चीजों का ख्याल रखो और बेवजह चीजों को बाहर जाने मत दो। इस तरह के सामाजिक दबाव के कारण ऐसे लोग चुप रहने को मजबूर हो जाते हैं जिससे उनका दर्द अंदर ही दबा रह जाता है।
