डेटा प्रोटेक्शन बिल: सोशल मीडिया में अब होंगी आपकी जानकारी सुरक्षित

Tuesday, Jan 08, 2019 - 06:50 PM (IST)

नई दिल्ली (मनीष शर्मा): भारत सरकार जल्द ही सोशल मीडिया में निजी जानकारियों की सुरक्षा के लिए पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल,2018 ला रही है। उम्मीद है कि सरकार अगले महीने बजट सेशन में इस बिल को संसद में पेश करेगी। अगर आप सोशल मीडिया पर बहुत ज़्यादा एक्टिव हैं और आप चिंतित हैं कि कोई अंजान व्यक्ति या कंपनी आपकी निजी जानकारियों का इस्तेमाल अपने लाभ के लिए कर सकती है तो आप लोगों की इसी चिंता को ध्यान में रखकर सरकार नया कानून लाने जा रही है। 



पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2018 की खास बातें 
इस बिल के तीन मुख्य प्रावधान हैं -


1 ) यह बिल निजी  डेटा की व्याख्या करता है। निजी डेटा में व्यक्ति से जुड़ी शामिल हैं जिससे व्यक्ति की पहचान हो सकती है जैसे नाम, लिंग, जाति, पैन और आधार नंबर, पता और लोकेशन आदि। कुछ डेटा को सेंसिटिव पर्सनल डेटा के दायरे में डाला गया है जैसे व्यक्ति की यौन रूचि, राजनीतिक दल के प्रति झुकाव, आर्थिक लेन-देन और धार्मिक रूचि। व्यक्ति ऑनलाइन ट्रांजैक्शन, नया फोन लेते समय या फिर सरकार की वेलफेयर स्कीम में शामिल होने के लिए निजी डेटा शेयर करता है। 



2 ) यह बिल डेटा इस्तेमाल करने वाली  फिड़्यूशियरीज़ मतलब सरकारी या निजी संस्थाओं की जि़म्मेदारी तय करता है । निजी जानकारी लेते समय व्यक्ति से सहमति लेनी होगी कि इसका इस्तेमाल किसी खास उद्देशय के लिए किया जायेगा और ज़रूरत हुई तो इसे दूसरे के साथ शेयर किया जाएगा। संस्था उतनी ही जानकारी इकठी करेगी जितनी की ज़रुरत है और उदेशय के पूरा होने तक ही जानकारी सहेज सकती है। व्यक्तिगत डेटा की दूसरी कॉपी भारत की सीमा के अंदर ही रखनी होगी। इस क़ानून में संस्था को इन शर्तों में छूट दी है अगर संस्था निजी डेटा का इस्तेमाल :

  • क ) राष्टीय सुरक्षा के लिया,
  • ख )अनुसंधान और पत्रकारिता के उद्देश्य के लिए करेगी। 





3 ) यह बिल निजी डेटा के दुरूपयोग को रोकने के लिए प्रणाली की व्यवस्था भी करता है। डेटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी (ष्ठक्क्र ) इस व्यवस्था पर नियम कानून बनाएगी। यह अथॉरिटी फिड़्यूशियरीज़ या संस्था पर नजर रखेगा और। अगर कोई संस्था कानून का उलंघ्घन करेगी तो यह अथॉरिटी उसकी जांच करेगी और उसे दंड भी देगी। कानून का उलंघ्घन करने पर संस्था को अथॉरिटी को 3 लाख तक का  जुर्माना देना पड़ सकता है, पीड़ित व्यक्ति को मुआवजा देना होगा और 5 साल तक की सजा का भी प्रावधान है। 

इस कानून की ज़रुरत क्यों हुई महसूस?
हाल ही में फेसबुक ने क़बूल किया है की उसने लगभग 9 करोड़ फेसबुक यूज़र्स जिसमें 5  लाख भारतीयों की निजी जानकारी कैंब्रिज एनालिटिका नाम की संस्था से शेयर की थी। कैंब्रिज एनालिटिका एक राजनीतिक मामलों में सलाह देने वाली संस्था है जिस पर आरोप है कि उसने फेसबुक यूजर्स की इजाजत के बिना  उनके नाम, लाइक्स और अन्य डाटा का इस्तेमाल 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थन में किया था।2014 के आम चुनाव में बीजेपी की जीत के पीछे सोशल मीडिया का बड़ा योगदान था।  

भारत क्यों लाया यह कानून ?
दुनिया भर की सरकारें  इस समय अपने नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। हाल ही में यूरोपियन यूनियन ने जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR ) लागू किया जिसमें निजता के अधिकार को मौलिक अधिकारों में जोड़ा गया। वहीँ 24 अगस्त 2017 में भारतीय सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की पीठ ने अभूतपूर्व फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर भारतीय को निजता का अधिकार मिला हुआ है। 31 जुलाई 2017 में सरकार ने  निजी जानकारियों की सुरक्षा पर कानून बनाने जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण की अध्यक्षता वाली 10 सदस्यीय समिति गठित की। 27 जुलाई 2018 में  इस समिति ने डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2018 का ड्राफ्ट  सरकार को सौंपा। 

क्या था पिछला कानून?

  • अब तक व्यक्तिगत डेटा का ट्रांसफर का विषय सेंसिटिव पर्सनल डेटा एंड इनफार्मेशन 2011 कानून के तहत आता था लेकिन यह कानून आज के समय के लिए नाकाफी साबित हुआ। 


सोशल मीडिया में कितने सक्रीय हैं भारतीय 

  • फेसबुक:  दुनिया में सबसे ज़्यादा फेसबुक भारत में यूजर्स हैं। भारत में फेसबुक यूज़र्स की संख्या लगभग 30 करोड़ है। 
  • ट्विटर : 3 करोड़ एक्टिव यूजर्स भारतीय हैं। 
  • व्हाट्सएप्प : 20 करोड़ भारतीयों का व्हाट्सएप्प अकाउंट है। 
  • इंस्टाग्राम : 12 करोड़ भारतीय एक्टिव यूजर हैं। 

Anil dev

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