पके फलों की गंध सूंघने से कम हो सकता है कैंसर का जोखिम
punjabkesari.in Friday, Mar 01, 2024 - 04:53 PM (IST)
नेशनल डेस्क: एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि पके हुए फलों की गंध कैंसर की बीमारी के जोखिम को कम कर सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि वाष्पशील, वायुजनित यौगिकों को सूंघना कैंसर या धीमी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी का इलाज करने का एक तरीका हो सकता है। हालांकि नाक के माध्यम से दवा पहुंचाने का विचार कोई नया विचार नहीं है, लेकिन यह निश्चित रूप से कोशिकाओं, मक्खियों और चूहों पर प्रयोगों से यह महत्पूवर्ण उपलब्धि है।
मक्खियों और चूहों पर किया अध्ययन
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (यूसी) रिवरसाइड के कोशिका , आणविक जीवविज्ञानी व अध्ययन के वरिष्ठ लेखक आनंदशंकर रे कहते हैं कि किसी गंधक के संपर्क में आने से जीन्स में सीधे तौर पर बदलाव हो सकता है। टीम ने फल मक्खियों (ड्रोसोफिला मेलानोगास्टर) और चूहों को 5 दिनों तक डायएसिटाइल वाष्प की विभिन्न खुराक में रखा। डायसिटाइल एक वाष्पशील यौगिक है जो फलों को किण्वित करने में यीस्ट द्वारा छोड़ा जाता है। ऐतिहासिक रूप से इसका उपयोग पॉपकॉर्न जैसे खाद्य पदार्थों में मक्खन जैसी सुगंध प्रदान करने के लिए किया जाता था, और कभी-कभी यह ई-सिगरेट में भी मौजूद होता है। यह शराब बनाने का एक उप-उत्पाद भी है।
रक्त कैंसर के उपचार में भी सहायक
प्रयोगशाला में विकसित मानव कोशिकाओं में टीम ने पाया कि डायएसिटाइल हिस्टोन डीएसेटाइलेज़ (एच.डी.ए.सी.) अवरोधक के रूप में कार्य कर सकता है। इसने मक्खियों और चूहों में जीन अभिव्यक्ति में व्यापक परिवर्तन शुरू कर दिया, जिसमें जानवरों के मस्तिष्क की कोशिकाएं, चूहों के फेफड़े और मक्खियों के एंटीना शामिल थे। एच.डी.ए.सी. ऐसे एंजाइम हैं जो डी.एन.ए. को हिस्टोन के चारों ओर अधिक मजबूती से लपेटने में मदद करते हैं, इसलिए यदि उन्हें बाधित किया जाता है, तो जीन को अधिक आसानी से बदला जा सकता है। एच.डी.ए.सी. अवरोधकों का उपयोग पहले से ही रक्त कैंसर के उपचार के रूप में किया जा रहा है।
बाद के प्रयोगों में, शोधकर्ताओं ने पाया कि डायएसिटाइल वाष्प ने एक डिश में उगाए गए मानव न्यूरोब्लास्टोमा कोशिकाओं के विकास को रोक दिया। इसके अलावा एक्सपोज़र ने हंटिंगटन रोग के मक्खी मॉडल में न्यूरोडीजेनेरेशन की प्रगति को भी धीमा कर दिया। शोध में यह भी पाया गया है कि परीक्षण किए गए यौगिकों से जुड़े अप्रत्याशित स्वास्थ्य जोखिम भी हो सकते हैं, इसलिए इस दिलचस्प खोज के नकारात्मक परिणामों को बेहतर ढंग से समझने के लिए और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है।